Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Traffic Challan: उत्तर प्रदेश सरकार किस आधार पर कर रही चालान माफ, सुप्रीम कोर्ट में देना होगा जवाब

    By Nirlosh Kumar Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 10:01 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार यातायात नियमों को तोड़ने वालों के चालान माफ कर देती है। यह उन लोगों के लिए धोखा है, जो कानून का पालन करते हुए समय से चालान जमा कर देते हैं। इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसे लेकर प्रदेश सरकार को अपना जवाब दाखिल करना है। 

    Hero Image

    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, आगरा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की बेंच ने सोमवार को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले वाले वाहन चालकों को उप्र सरकार द्वारा माफ किए जाने से संबंधित याचिका पर सुनवाई की।

    वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने याचिका में सवाल उठाया है कि वाहन चालान माफ किया जाना, उन लोगों के साथ अन्याय है, जिन्होंने जुर्माना राशि जमा करा दी है। चालान माफ किए जाने की वजह से अधिकांश लोग जुर्माना राशि जमा नहीं करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार को उप्र सरकार को दो दिन का समय तैयारी करने को कहा। बेंच ने अधिवक्ता केसी जैन की वाहन दुर्घटना में घायलों के उपचार से संबंधित याचिका पर भी सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व में केंद्र सरकार ने वाहन दुर्घटना में घायलों के कैशलेस ट्रीटमेंट की याेजना तैयार की थी।

    इसमें उपचार के लिए घायल को 1.5 लाख रुपये देने व एक सप्ताह की कैपिंग तय कर दी थी। अधिवक्ता केसी जैन ने इसे अनुचित बताया था। उन्होंने जवाब दाखिल किया था कि बीमित वाहन से दुर्घटना होने पर बीमा कंपनी का असीमित उत्तरदायित्व होता है। इसे 1.5 लाख रुपये तक सीमित किया जाना अनुचित है।

    मोटर वाहन दुर्घटना अधिनियम में प्रविधान है कि बीमा कंपनियों द्वारा घायलों का उपचार कराने के लिए योजना बनाई जाए। मोटर वाहन से दुर्घटना में घायलों को आठ-10 वर्ष तक मोटर वाहन दुर्घटना ट्रिब्यूनल में केस लड़ने के बाद मुआवजा मिल पाता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रुख के प्रति नाराजगी जताई। वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट दोनों मामलों में गुरुवार को सुनवाई करेगा।

    एयर एक्शन प्लान पर नहीं हो सकी सुनवाई


    राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में सोमवार को जिले में एयर एक्शन प्लान के प्रविधानों को लागू नहीं किए जाने से संबंधित मामले में सुनवाई होनी थी। प्रतिवादी सुमीत के. रमन ने बताया कि सरकारी अधिवक्ता द्वारा मेडिकल लगाए जाने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी।