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    Surkhab: दुर्लभ सुर्खाब पक्षी ने भी चहकाई ये जगह, Bird Watching के लिए आने लगे लोग

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 09 Nov 2020 07:17 PM (IST)

    आगरा-मथुरा हाईवे पर विकसित प्राकृतिक स्‍थल पर पहली बार पहुंचा दुर्लभ सुर्खाब पक्षी। इसके अलावा फ्लेमिंगों भी डाल चुका है डेरा। सुर्खाब पक्षी उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका इथियोपिया दक्षिण-पूर्वी यूरोप मध्य एशिया के साथ चीन और नेपाल के ठंडे क्षेत्रों का निवासी है।

    आगरा मथुरा हाईवे पर जोधपुर झाल पर सुर्खाब पक्षी भी डेरा जमा चुका है।

    आगरा, प्रतीक गुप्‍ता। प्रकृति का अंदाज ही निराला है। हर रोज इसकी सुन्दरता निखरती है। रंग बिरंगे पक्षियों से मानो इसका श्रृंगार होता हो। एक से बढ़कर एक पक्षी। तभी तो इनकी उपमाएंं या मुहावरे सदियों से समाज में जीवित हैं। सुर्खाब पक्षी का नाम आते ही हिन्दी के मुहावरे याद आने लगते हैं। सुनहरे रंग का यह पक्षी सभी का मन मोह लेता है। जोधपुर झाल वैसे तो प्रवासी पक्षियों से हर साल गुलजार रहती है। इस साल फ्लेमिंगो के साथ-साथ रूडी शेल्डक झाल की सुन्दरता में चार चांंद लगा रही हैं। जोधपुर झाल के संरक्षण एवं अध्ययन कर रही संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह ने बताया कि झाल पर पक्षियों की गणना के दौरान तीन रूडी शेल्डक रिकार्ड की गई हैं।

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    भारत में इसे अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे चकवा, चकवी, नग, लोहित, चक्रवात और केसर। आईयूसीएन द्वारा इसे संरक्षण योग्य श्रेणी में रखा गया है। इसके शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध है। यह प्रजाति अफ्रीकी-यूरेशियन माइग्रेटरी वॉटरबर्ड्स (AEWA) के संरक्षण समझौते के अंतर्गत आती है।

    सर्दियों के प्रवास पर मध्य एशिया से पहुंंचता है भारत

    रूडी शेल्डक जिसका वैज्ञानिक नाम तेदोर्ना फेरुगिनिया है। यह परिवार एनाटिडी का सदस्य है। भारत में इसे ब्राह्मणी बत्तख के नाम से पहचाना जाता है। सुर्खाब पक्षी उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका, इथियोपिया, दक्षिण-पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया के साथ-साथ चीन और नेपाल के ठंडे क्षेत्रों का निवासी है। मार्च अप्रैल के महीने में मध्य एशिया में प्रजनन करने पहुंंचता है।

    इन क्षेत्रों में बर्फ जमते ही भारत में यह सर्दियों के प्रवास पर अक्टूबर-नवंबर में आ जाता है। जोधपुर झाल पर अध्ययन कर रहे पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि आगरा में यह कीठम झील, बाह के चंबल, मथुरा के जोधपुर झाल के अलावा जलेसर व भरतपुर में भी प्रवास पर पहुंंचती हैंं। यह जोड़े में ही माइग्रेशन करता है और जोड़े में ही अधिकतर दिखाई देता है। यह जलपक्षी है, जिसकी लंबाई 23 से 28 इंच होती है, खुले पंखों के साथ लंबाई 43 से 53 इंच तक होती है। इसका रंग ऑरेंज-ब्राउन होता है। सर व पंखों का रंग सफेद होता है। सुर्खाब जीवन भर के लिए अपनी जोड़ी बनाते हैं।

    सुर्खाब जलीय वनस्पति खाना ज्यादा पसंद करते हैं। रूडी शेल्डक सर्वहारा पक्षी है। घास, पौधों, अनाज और पानी के पौधों के साथ-साथ जलीय और स्थलीय अकशेरूकीय जीव इसके मुख्य भोजन हैं। कम गहरे पानी की आद्रभूमि पर यह भोजन करती हुई दिखती है।यह माना जाता है कि नर व मादा जीवन भर के लिए अपनी जोड़ी बनाते हैं। अपने प्रजनन काल में अन्य प्रजातियों के प्रति बहुत आक्रामक होते हैं। मादा घुसपैठियों के पास पहुंचकर सिर नीचा और गर्दन बाहर की ओर करके भगाने की कोशिश करती है। अगर घुसपैठिया नहीं भागता है तो मादा नर के पास लौटकर उसे हमला करने के लिए उकसाती है। घोंसला अधिकतर पानी से दूर वाले पेड़, खंडहर, चट्टानों की दरार, रेत के टीलों पर बनाते हैं। घोंसले में बिछौने के लिए मादा पंख और घासों का उपयोग करती है। मादा छह से बारह अंडे तक देती है। रंग सफेद होता है। ऊष्मायन मादा द्वारा किया जाता है, जबकि नर पास में मौजूद रहता है। इंक्यूबेटिंग काल अट्ठाईस दिनों तक होता है।