भदोही के विधायक को इस शख्स पर इतना है विश्वास, नामांकन विजय शंकर ने भरवाया तो होती है जीत
आगरा सेंट्रल जेल में बंद भदोही के विधायक विजय मिश्रा ज्ञानपुर के रहने वाले विजय शंकर को मानते हैं बेहद लकी। विजय मिश्रा के साथ 35 साल से हैं जुड़े अब तक कई लोग चुके हैं जीत। इस बार भी आगरा आकर विजय शंकर ने भरवाया विधायक का नामांकन।

आगरा, अली अब्बास। भदोही के ज्ञानपुर के रहने वाले लगभग 72 वर्षीय विजय शंकर पेशे से किसान हैं। वह सामान्य जिंदगी जीते हैं। मगर, राजनीति में कुछ करने व बनने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए विजय शंकर बेहद खास हैं। यदि किसी को चुनाव लड़ना हो तो पर्चा भरवाने के लिए विजय शंकर को तलाश किया जाता है। राजनीति से जुड़े लोगों को मानना है कि विजय शंकर जिसका भी पर्चा भरवाते हैं, उसे जीतने से कोई नहीं रोक सकता।
ज्ञानपुर के रहने वाले लगभग 72 वर्षीय विजय शंकर विधायक के पड़ोस के गांव तिलंगा के रहने वाले हैं। वह करीब 35 साल विजय मिश्रा के साथ हैं। मंगलवार को प्रस्तावकों के साथ विजय शंकर भी आए थे। उनके सामने ही विजय मिश्रा ब्लाक प्रमुख से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष और फिर विधायक बने। विधायक के समर्थकों ने बताया कि चुनाव कोई भी हो विजय मिश्रा का नामांकन प्रपत्र भरवाने का काम विजय शंकर ही करते हैं। विजय मिश्रा की पत्नी रामलली मिश्रा का नामांकन प्रपत्र भी उन्होंने ही भरवाया था।
मंगलवार को विधायक विजय मिश्रा का नामांकन पत्र भरवाने के लिए उनकी बेटी व समर्थक आगरा आए तो विजय शंकर भी उनके साथ थे। समर्थकों ने बताया कि विजय शंकर मिश्रा ने जिन-जिन लोगाें का पर्चा भरवाने में मदद कि वह सभी जीते हैं। जिसके चलते चुनाव लड़ने वाले अधिकांश लोग उनसे अपना नामांकन प्रपत्र भरवाने का प्रयास करते हैं। समर्थकों ने बताया कि भदोही में राजित यादव की पत्नी काजल यादव का पर्चा भी विजय शंकर ने भरवाने में मदद की थी। वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। इसी तरह पूर्व ब्लाक प्रमुख बैजनाथ सरोज की पत्नी उर्मिला सरोज का पर्चा भरा वो भी जीत गईं।
विजय मिश्रा ने चुनाव को केंद्रीय कारागार में भरा नामाकंन प्रपत्र
सेंट्रल जेल में बंद भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय मिश्रा ने मंगलवार को नामाकंन प्रपत्र को भरा। मंगलवार की सुबह उनका नामाकंन प्रपत्र लेकर पुत्री रीमा व प्रस्तावकों समेत करीब दो दर्जन लोग केंद्रीय कारागार पहुंचे थे।ज्ञानपुर सीट से लगातार चार बार विधायक रहे विजय मिश्रा पांचवीं बार चुनावी अखाड़े में ताल ठोकेंगे। विजय मिश्रा की पुत्री रीमा पांडेय एडवोकेट सोमवार की रात को ही भदोही से प्रस्तावकों के साथ आगरा के लिए निकल पड़ी थीं। मंगलवार की सुबह नौ बजे वह केंद्रीय कारागार पहुंच गईं थीं। दोपहर करीब 12 बजे पुत्री सीमा व प्रस्तावक आदि नामांकन प्रपत्र भरवाने के लिए जेल में दाखिल हुए थे। पर्चा भरवाने के बाद मंगलवार को तीसरे पहर यहां से निकलने के बाद सीधे भदोही रवाना हो गए थे।
ये प्रस्तावक व समर्थक आए आगरा
प्रस्तावकों के साथ दो अधिवक्ता, एक नोटरी वाला, एक कैमरामैन भी आया था। केंद्रीय कारागार आए प्रस्तावकों व समर्थकों में प्रमुख रूप से श्याम नारायण प्रजापति, नंदलाल यादव, ब्रह्मदेव शर्मा, लालमणि यादव, सुशील कुमार बिंद, अशोक शुक्ला, अरुण पांडेय, राकेश सरोज, देवी प्रसाद एडवोकेट, लक्ष्मी शंकर, रमेश कुमार प्रधान, वीरेंद्र सिंह, विजय शंकर मिश्रा आदि थे।
अदालत से 24 लोगों के जेल में दाखिल होने को मांगी थी अनुमति
आवेदक के अधिवक्ता ने चार सेट में नामांकन के लिए प्रस्तावक, समर्थक, अधिवक्ता तथा नोटरी वकील एवं फोटोग्राफर सहित कुल 24 लोगों के आगरा जेल में दाखिल होने की अनुमति मांगी थी। सरकारी अधिवक्ता की ओर से इसका विरोध किया गया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद विजय मिश्र के अधिवक्ता हंसाराम शुक्ला के आवेदन को स्वीकार कर लिया था।
जेल-प्रशासन ने सत्यापित किया शपथ पत्र का प्रोफार्मा
नामाकंन पत्र के साथ दिया जाने वाले शपथ पत्र को जेल प्रशासन ने सत्यापित किया। इसके साथ ही जिन प्रस्तावकों ने अपना नाम दिया था। जेल-प्रशासन द्वारा उनका सत्यापन किया गया।
जेल में दो वर्ष से बंद हैं
विधायक विजय मिश्रा को अक्टूबर 2020 में चित्रकूट की जेल से आगरा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित किया गया था। वह तभी से यहां पर बंद हैं। विजय मिश्रा को हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है।
विधायक के नामांकन प्रपत्र काे भरवाने के लिए प्रस्तावक एवं अधिवक्ता आए थे। नामांकन प्रपत्र को दाखिल करने से पहले उसे भरवाने की प्रक्रिया पूरी कराई गई।
वीके सिंह वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार
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