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    आगरा में बंदराें के आतंक का मामला पहुंचा अब कोर्ट, हाईकोर्ट ने जताई उपाय न करने पर नाराजगी

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 19 Aug 2022 03:52 PM (IST)

    आगरा में बंदरों की समस्या पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी। वन विभाग ने 10 हजार बंदरों के बंध्याकरण का प्रस्ताव होने की दी जानकारी। 17 अक्टूबर को होगी सुनवाई केसी जैन व प्रशांत जैन ने दायर की है याचिका।

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    ताजमहल में उछल कूद मचाते बंदर पर्यटकाें को भी परेशान करते हैं।

    आगरा, निर्लोष कुमार। शहर में बंदरों की समस्या के समाधान को कागजी कार्रवाई के अलावा कोई कदम नहीं उठाए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। मामले में अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। सभी विपक्षियों को काउंटर एफीडेविट दाखिल करने होंगे।

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    शहर में बंदरों की समस्या के समाधान को आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव अधिवक्ता केसी जैन और प्रशांत जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता राहुल अग्रवाल ने बताया कि बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की बेंच में मामले पर सुनवाई हुई। समस्या का समाधान नहीं होने पर बेंच ने अप्रसन्नता जाहिर की।

    वन एवं वन्य जीव विभाग के अधिवक्ता ने 10 हजार बंदरों के बंध्याकरण का प्रस्ताव प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भेजे जाने की बात कही। याचिकाकर्ता केसी जैन ने कहा कि नगर निगम और वन विभाग के समन्वय से ही बंदरों की समस्या का समाधान संभव है। बंदरों के बंध्याकरण से भी समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा, क्योंकि इससे वह अधिक हिंसक हो जाते हैं। सेंट्रल जू अथारिटी से अनुमति लेकर शहर के निकट मंकी रेस्क्यू सेंटर बनाया जाना चाहिए। हल्द्वानी व मथुरा में इसके लिए अनुमति मिल चुकी है।

    सह-याचिकाकर्ता प्रशांत जैन ने कहा कि जब तक बंदरों के वनों में रहने की उचित व्यवस्था नहीं की जाएगी और उन्हें शिफ्ट नहीं किया जाएगा, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। शासन को इस संबंध में पहल करनी चाहिए।

    नगर निगम ने दाखिल किया काउंटर एफीडेविट

    नगर निगम ने बंदरों की समस्या पर काउंटर एफीडेविट दाखिल किया है। इसमें लिखा है कि वन्य जीवों की सुरक्षा का दायित्व वन विभाग का है और नगर निगम ने प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी को चार दिसंबर, 2009 को पत्र लिखते हुए बंदरों को हटाने को कहा था। 28 अक्टूबर, 2021 को भी पत्र लिखा गया। इसमें बंदरों की समस्या से लोगों के बहुत अधिक पीड़ित होने व स्थिति अधिक खराब होने का हवाला देते हुए 10 हजार बंदरों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर ले जाने की आवश्यकता जताई थी। ताजमहल परिसर व क्षेत्र में 600 बंदर होने का उल्लेख किया था।