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    Guru Teg Bahadur: मंच पर जीवंत हुई गुरु तेग बहादुर की शौर्य गाथा, बलिदान देख नम हुईं आंखें

    By Nirlosh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 27 Sep 2021 04:11 PM (IST)

    सूरसदन में हुआ गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर का मंचन। खचाखच भरे हाल में लगता रहा जो बोले सो निहाल का जयकारा। उप्र पंजाबी एकेडमी और आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से कराए गए कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने किया।

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    पटियाला के पंजाबी रंगमंच के कलाकारों ने मार्मिक प्रस्तुति दी।

    आगरा, जागरण संवाददाता। गुरु तेग बहादुर साहिब के 400साला प्रकाश पर्व को समर्पित नाट्य प्रस्तुति "गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर' का मंचन सूरसदन में हुआ। पटियाला के पंजाबी रंगमंच के कलाकारों ने मार्मिक प्रस्तुति दी तो मंच पर गुरु तेग बहादुर की शौर्य गाथा जीवंत हो उठी। जो बोले सो निहाल के जयकारों से सूरसदन गूंज उठा। गुरु की शौर्य गाथा को देखकर श्रद्धालु रोमांचित हो उठे।

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    उप्र पंजाबी एकेडमी और आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से कराए गए कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह, एडीए उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र पैंसिया, उप्र पंजाबी एकेडमी के उपाध्यक्ष गुरविंदर छाबड़ा ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कार्यक्रम संयोजक बंटी ग्रोवर ने बताया कि मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया जा रहा था। गुरु तेग बहादुर साहिब ने अपना बलिदान देकर अद्वितीय मिसाल कायम की, जिससे उन्हें उन्हें हिंद की चादर कहा जाता है। पटियाला से आए हरमिंदर पाल सेठी के नेतृत्व में 25 से अधिक कलाकारों ने गुरु तेग बहादुर साहिब के जीवन दर्शन, उनके जन्म स्थान अमृतसर, भाई मक्खन शाह लुभाना, भाई लखी बंजारा द्वारा उनके धड़ का संस्कार, भाई मति दास, भाई सती दास, भाई दयाला जी एवं गुरु की शहादत का मार्मिक मंचन किया। नाट्य प्रस्तुति को देखकर दर्शकों की आंखों से आंसू बहने लगे। शुरुआत में पुरातन युद्ध कला का प्रदर्शन मंच पर किया गया।

    आइजी नवीन अरोरा, उप्र पंजाबी एकेडमी के सदस्य राजकुमार छाबड़ा, एडीआरएम मुदित चंद्र, ब्रज क्षेत्र अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह, उद्यमी पूरन डावर, रंजीत सामा, चंद्रमोहन सचदेवा, महंत योगेश पुरी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम में सहयोग कंवलदीप सिंह, वीर महेंद्र पाल, दलजीत सिंह सेतिया, उपेंद्र सिंह लवली, चौधरी मंजीत सिंह, बाबी वालिया, रमन साहनी, हरपाल सिंह, परमजीत, तेजपाल सिंह, बाबी बेदी आदि ने किया। सिख यूथ वेलफेयर आर्गेनाइजेशन व अकाल पुरख की फौज ने व्यवस्था में सहयोग किया।