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    तेजोमहादेव मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को; केस फिर हुआ ट्रांसफर

    By Nirlosh Kumar Edited By: Jagran News Network
    Updated: Fri, 08 Nov 2024 06:03 PM (IST)

    तेजोमहादेव बनाम ताजमहल मामले में आगरा की अदालत ने सुनवाई के बाद केस को अतिरिक्त सिविल जज (जूनियर डिवीजन) नजमा गोमला के न्यायालय में स्थानांतरित कर दिय ...और पढ़ें

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    तेजोमहादेव केस में अब 12 दिसंबर को होगी सुनवाई।

    जागरण संवाददाता, आगरा। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) 6 शिखा सिंह के न्यायालय में शुक्रवार को योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा दायर वाद भगवान तेजोमहादेव विराजमान तेजोमहालय बनाम सचिव संस्कृति मंत्रालय की सुनवाई हुई। न्यायालय में सुनवाई के बाद केस अतिरिक्त सिविल जज (जूनियर डिवीजन) नजमा गोमला के न्यायालय में स्थानांतरित हो गया है। अब मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।

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    पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रतिवादी सचिव संस्कृति मंत्रालय, महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ), अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआइ आगरा सर्किल और महानिदेशक उत्तर प्रदेश पर्यटन लोक सेवक हैं।

    इनके द्वारा पदेन किए गए कार्यों से वाद संपत्ति तेजोमहालय को हानि पहुंची है। इसके लिए भारत संघ और उत्तर प्रदेश राज्य की जिम्मेदारी तय करने और वादी बनाने को उन्होंने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता की कार्यवाही से छूट प्रदान करने की मांग की है। प्रक्रिया के अनुसार, प्रतिवादी बनाने को 60 दिन की अवधि का नोटिस देना होता है।

    क्या है पूरा मामला?

    बता दें कि योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने ताजमहल को तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताते हुए बीते दिनों आगरा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां वाद दायर किया था। वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया था कि उन्होंने वर्ष 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से सूचना का अधिकार में पूछा था कि ताजमहल कब बनना शुरू हुआ, कब खत्म हुआ और ताजमहल के भवन की आयु क्या है? जिसका जवाब देते हुए एएसआई ने बताया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है, जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

    अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने इससे पहले मार्च 2024 में कोर्ट में जिरह की थी। उस समय उन्होंने बताया था कि सभी का विश्लेषण करने पर यह साबित होता है कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है। मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है, जिसे तेजो महालय कहते थे। वाद में श्री भगवान श्री तेजोमहादेव, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं। सचिव संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, महानिदेशक एएसआई, अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआई आगरा सर्किल, महानिदेशक यूपी टूरिज़्म प्रतिवादी हैं।

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