बेंगलुरु से भाई की तलाश में आया था आगरा , 10 वर्ष बाद आगरा की झुग्गी झोपड़ी में मिले मां बाप
19 वर्षीय युवक 2012 में अपने माता पिता से बिछड़ गया था। बिछडने के बाद से रहा बाल गृह में। वयस्क होने पर मिली प्राइवेट कंपनी में नौकरी। छोटा भाई है राजकीय बालगृह फिरोजाबाद में। इटली के दंपति ले रहे थे गोद।

आगरा, जागरण संवाददाता। 10 वर्ष पहले अपने मां बाप से बिछड़ने के बाद बाल गृह में रहा। बालिग होने पर दो वर्ष पहले वह एक एनजीओ के माध्यम से वह बेंगलुरु में पहुंचा। वहां एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहा था। बेंगलुरु से वह अपने भाई की तलाश में आगरा आया था। शुक्रवार को समाजसेवी नरेश पारस ने उसके साथ मिलकर झुग्गी झोपड़ियों में माता-पिता की तलाश की। इसके बाद उसे आगरा किला के सामने झुग्गी झोपड़ियों में माता पिता मिल गए। छोटा भाई फिरोजाबाद स्थित राजकीय बाल गृह (बालक) में है। उसको सुपुर्दगी में लेने के लिए युवक ने कोर्ट में दावा किया है।
ये है पूरा मामला
यह कहानी है एक 19 वर्षीय युवक की। वह वर्ष 2012 में अपने माता-पिता से बिछड़ गया था। तब वह 9 वर्ष का था। 2 वर्ष का उसका भाई पहले मां बाप से बिछुड़ा। उसकी तलाश में निकला 9 वर्षीय भाई भी बिछड़ गया था। दोनों को आगरा स्थित राजकीय बाल गृह में रखा गया। 10 वर्ष से अधिक आयु होने पर बड़े भाई को फिरोजाबाद स्थित राजकीय बाल गृह में शिफ्ट कर दिया गया। जबकि छोटा भाई आगरा स्थित बाल गृह में ही रहा। बड़े भाई को यह जानकारी थी कि उसका छोटा भाई भी बाल गृह में ही है। मगर वह कुछ कर नहीं सकता था इसलिए उसने किसी को इसकी जानकारी नहीं दी। बड़े भाई के बालिग होने पर एक संस्था उसे फिरोजाबाद स्थित राजकीय बाल गृह से लखनऊ ले गई। वहां से एक निजी कंपनी में नौकरी लगने पर उसे बेंगलुरु पहुंचाया गया। करीब 2 वर्ष से बाबा नौकरी कर रहा था। अब वह अपने भाई की तलाश में आगरा आया।
छोटा भाइ जा सकता था इटली
बाबा को आगरा पहुंचने पर जानकारी हुई कि उसका छोटा भाई भी राजकीय बाल गृह फिरोजाबाद में शिफ्ट हो चुका है। उसको इटली के दंपति द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया चल रही थी। बड़े भाई ने गोद लेने की प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराई।इसके बाद वह आगरा आकर समाज सेवी नरेश पारस से मिला। नरेश पारस ने उसे जिलाधिकारी आगरा और बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत कर आया। इसके बाद फिरोजाबाद राजकीय बाल गृह में भी बातचीत की। उन्होंने परिवार न्यायालय आगरा 3 में गोद लेने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। इस पर कोर्ट ने 23 जुलाई को बाल गृह के अधीक्षक को पत्रावली के साथ तलब किया है। इधर युवक ने नरेश पारस को बताया कि उसके माता-पिता आगरा में ही झुग्गी झोपड़ियों में रहते थे उसको इतना याद है। उसके बताने पर नरेश पारस सेवक को साथ लेकर आगरा किला के सामने झुग्गी झोपड़ियों में पहुंचे। शुक्रवार को वहां लोगों से पूछताछ की। इसके बाद युवक के मां-बाप वहां मिल गए। अपने बच्चे को पहचान लिया। युवक ने भी अपने छोटे भाई बहन को पहचान कर उनको नाम से संबोधित किया। अपने बेटे को पाकर मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं है। 22 वर्ष पहले बिहार के धनबाद से यहां काम की तलाश में आए थे तब से यहीं झोपड़ी डालकर परिवार के साथ रह रहे हैं। अब पूरा परिवार मिलकर छोटे बेटे को लेने के लिए कोर्ट में प्रस्तुत होगा।
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