Taste of Agra: कचौड़ी की छोटी बहन बेड़ई, आलू की चटपटी सब्जी बना देती है इसे और स्वादिष्ट
आगरा में सुबह बेड़ई का नाश्ता खूब लोकप्रिय है। गुप्त काल में पूड़ी से शुरू होकर यह बेड़ई के रूप में विकसित हुई। बेलनगंज के रामा कचौड़ी वाले तीसरी पीढ़ी से इसे बना रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी यह पसंद थी, और उन्होंने आगरा से इसे मंगवाकर खाया था।

आगरा की प्रसिद्ध बेड़ई और आलू की सब्जी।
अजय दुबे, आगरा। मिठाई की दुकान से लेकर ठेल पर सुबह सुबह घी, रिफाइंड और सरसों के तेल में सिकती बेड़ई, बगल में चटपटी आलू की सब्जी से भरा भगोना और बेड़ई के कढ़ाई से निकलने का इंतजार करते लोग। आगरा में सुबह सुबह यह नजारा तंग गलियों से लेकर भीड़ वाले बाजारों में दिखाई देता है।
गुप्त काल में पूड़ी में मसाले की भरावन का इतिहास मिलता है यह पूड़ी से कचौड़ी बनी और देखते ही देखते कचौड़ी ने बेड़ई का रूप ले लिया। बेड़ई में तो कोई खास प्रयोग नही किए जा रहे हैं लेकिन सब्जी को चटपटी बनाने के साथ ही रायता, गर्म बेड़ई को छाछ में भिगोकर भी दिया जा रहा है।
बेलनगंज तिकौनिया की रामा कचौड़ी वालों की तीसरी पीढ़ी बेड़ई का नाश्ता बना रही है। संचालक लाला भैया बताते हैं कि उनके पिता रामा ने 1955 में मैदा की कचौड़ी की जगह आटे की लोई में उड़द की दाल भरकर बेड़ई बनाना शुरू किया, बेड़ई सरसों के तेल में ही तैयार करते थे। बेड़ई के लिए घर पर मसाले तैयार कर आलू की सब्जी बनाने लगे।
पुराने शहर में बड़ी संख्या में लोग बेड़ई का नाश्ता करने के लिए आते थे, इसके बाद बेड़ई की ठेलें लगने लगी, मिठाई विक्रेताओं ने बेड़ई और जलेबी बनाना शुरू कर दिया। मोती कटरा में ब्रज भोग की बेड़ई भी खूब पसंद की जाने लगी। सेंट जोंस कालेज चौराहा, राजा की मंडी, कमला नगर, आवास विकास कालोनी, प्रतापपुर पर देवीराम, नुनिहाई में दाऊजी की बेड़ई पसंद की जाती हैं।
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी पसंद थी बेड़ई
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1990 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली फरह में आए थे, बेलनगंज की बेड़ई और जलेबी उन्हें पसंद थी। आगरा से बेड़ई और जलेबी मंगाकर उन्होंने खाईं थी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।