Agra News: नकली दवा मामले में टास्क फोर्स की धीमी कार्रवाई, 10 महीने में एक ही वांछित को पकड़ सकी
Agra News सिकंदरा में नकली दवा फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद भी एएनटीएफ की सुस्त चाल से सिंडिकेट को सबूत मिटाने का मौका मिला। 10 महीने में केवल एक आपूर्तिकर्ता गिरफ्तार हुआ। विजय गोयल ने कई नाम बताए पर विवेचना धीमी रही जिससे अन्य आरोपियों को फायदा हुआ। मेरठ एएनटीएफ अब भी मामले की जांच कर रही है।
जागरण संवाददाता, आगरा। नकली-नशीली दवाओं के सिंडिकेट को साक्ष्य मिटाने में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) की सुस्त चाल ने पूरा मौका दिया। दवा माफिया विजय गोयल से सिंडिकेट के बारे में मिली जानकारी के बाद एएनटीएफ टीम 10 महीने में सिर्फ एक वांछित अभिषेक बोस को ही गिरफ्तार कर सकी। दिल्ली के बुराड़ी थाना क्षेत्र का रहने वाला अभिषेक बोस दवा माफिया की फैक्ट्री को कच्चा माल आपूर्ति करता था।
सिकंदरा के शास्त्रीपुरम में इलाके में नकली-नशीली दवाओं की फैक्ट्री चलाने वाले विजय गोयल को पुलिस ने 22 अक्टूबर उसके 10 साथियों समेत गिरफ्तार किया था। आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा था। दो महीने बाद ही जांच आगरा से मेरठ एंटी नारटकोटिक्स टास्क फोर्स एएनटीएफ स्थानांतरित हो गई।
विजय गोयल की नकली दवाओं की फैक्ट्री-दवा माफिया ने सिंडिकेट से जुड़े लोगों के बताए थे नाम
टास्क फोर्स 10 महीने में सिर्फ एक आरोपित दिल्ली के बुराड़ी निवासी अभिषेक बोस को गिरफ्तार कर सकी।मेरठ एएनटीएफ टीम ने इस वर्ष एक अगस्त को गिरफ्तार करके जेल भेजा। वह नकली-नशीली दवाओं की फैक्ट्री चलाने वाले को कच्चा माल आपूर्ति करता था।
कच्चा माल भेजने वाले अभिषेक को ही दबोच सकी
एएनटीएफ की पूछताछ में दवा माफिया विजय गोयल ने सिंडिकेट से जुड़े लोगों की कुंडली बताई थीं। दिल्ली, अजमेर और प्रदेश के कई जिलों में सिंडिकेट से जुड़े लोगों के नाम सामने आए थे। दवा माफिया ने बताया था कि एल्प्राजोरम टेबलेट और प्राक्सिविन स्पाश कैप्सूल की खेप दिल्ली में मनोज रस्तोगी, अजमेर में हेमंत कुमार, बिजनौर में धर्मेंद्र, सहारनपुर में विभोर विपिन बंसल और अमित, मुरादाबाद में जतिन कुमार, बिजनौर में धर्मेंद्र काे देते थे।फैक्ट्री में नकली-नशीली दवाएं बनाने के लिए कच्चा माल अभिषेक बोस द्वारा दिया जाता था। मुकदमे में उक्त सभी के नाम आए थे।
धीमी विवेचना, साक्ष्य मिटाने का मिला आरोपितों को मौका
शासन स्तर से दो महीने बाद ही दिसंबर 2024 में विवेचना मेरठ एएनटीएफ स्थानांतरित कर दी गई। जिसके बाद विवेचना की धीमी गति से सिंडिकेट से जुड़े लोगों को अपने विरुद्ध साक्ष्य मिटाने का मौका मिल गया। विभिन्न शहरों में सिंडिकेट से जुड़े लोगों के बारे में एएनटीएफ 10 महीने बाद भी तस्दीक नहीं कर सकी।
विजय गोयल को कच्चा माल आपूर्ति करने वाले अभिषेक बोस को वह 10 महीने बाद इस वर्ष एक अगस्त को गिरफ्तार कर सकी। उसे सिकंदरा थाने से जेल भेजा गया। मुकदमे की विवेचना कर रहे मेरठ एएनटीएफ के इंस्पेक्टर सौरभ विक्रम सिंह ने बताया कि मामला विवेचनाधीन है। दवा माफिया विजय गोयल द्वारा बताए गए नामों की तस्दीक व उनकी भूमिका के बारे में जांच जारी है।
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