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    Taj Mahal: 'ताज' और 'ताजमहल' के बीच परंपरा की जंग, थाईलैंड के पर्यटकाें ने चुना फिर दूसरा तरीका

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Thu, 04 Aug 2022 07:52 AM (IST)

    ताजमहल देखने के लिए थाईलैंड से पारंपरिक वेशभूषा पहनकर आया था पर्यटकाें का दल। नियमाें के चलते इस तरह की ड्रेस में नहीं दिया जा सकता था अंदर प्रवेश। थाईलैंड के पर्यटकों ने लाकर रूम में नहीं रखा सामान। ताजमहल में अंदर न जाकर दशहरा घाट से किया दीदार।

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    Taj Mahal: ताजमहल पर इस अंदाज में पहुंचे थाईलैंड के टूरिस्ट को अंदर प्रवेश नहीं दिया गया।

    आगरा, निर्लोष कुमार। एक तरफ दुनियाभर में मोहब्बत के लिए मशहूर इमारत ताजमहल और दूसरी तरफ संस्कृति का ताज। दोनाें की ही अपनी अपनी गरिमा। न ताजमहल के नियम तोड़े जा सकते थे और ना ही संस्कृति की मर्यादा भंग की जा सकती थी। नियमाें और परंपरा की ये जंग ताजमहल पर देखने को मिली।

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    दरअसल बुधवार को थाईलैंड से ताजमहल के दीदार को आए पर्यटकों को पारंपरिक वेशभूषा की वजह से स्मारक में प्रवेश नहीं मिल सका। उन्हें मुकुट व अन्य सामान लाकर रूम में रखकर आने को कहा गया था। पर्यटकों ने पारंपरिक वेशभूषा को छोड़ने के बजाय ताजमहल देखने का विचार त्याग दिया। उन्होंने ताजमहल में अंदर जाने के बजाय दशहरा घाट से स्मारक देखा।

    मुकुट पहनकर पहुंचे थे पर्यटक

    थाईलैंड के तीन पर्यटक (एक पुरुष व दो महिला) बुधवार दोपहर करीब 2:30 बजे ताजमहल के पूर्वी गेट पर पहुंचे थे। उन्होंने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर रखी थी। महिलाओं ने अपने हाथ में मुकुट पकड़े हुए थे। टिकट स्कैन होने के बाद सुरक्षा जांच के लिए उन्हें रेवती का बाड़ा स्थित टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेंटर में प्रवेश दे दिया।

    ताजमहल के पीछे दशहरा घाट पर पारंपरिक नृत्य करते थाईलैंड के टूरिस्ट। इंटरनेट से लिया गया फोटो। 

    सुरक्षा जांच के दौरान पर्यटकों को पारंपरिक वेशभूषा की वजह से प्रवेश देने से इन्कार कर दिया गया। उन्हें मुकुट व अन्य सामान लाकर रूम में रखकर आने को कहा गया। इसके बाद पर्यटक बाहर आ गए। वह लाकर रूम के बाहर खड़े रहे, लेकिन उन्होंने सामान लाकर रूम में नहीं रखा। कुछ देर इंतजार करने के बाद वह दशहरा घाट पहुंचे। वहां उन्होंने पारंपरिक वेशभूषा में अलग-अलग अंदाज में फोटो खिंचवाए।

    पारंपरिक वेशभूषा में करना चाहते थे शूटिंग

    ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि पर्यटकों को मुखौटा व मुकुट लाकर रूम में रखकर आने को कहा गया था। वह स्मारक में प्रस्तुति देकर उसकी शूटिंग करना चाहते थे। इसकी उनके पास अनुमति नहीं थी। बाद में उन्होंने दशहरा घाकर जाकर प्रस्तुति दी।

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