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    Taj Mahal: दिसंबर के बाद निखर कर आएगा रूप, मुख्य गुंबद के कलश पर चल रहा काम

    By Nirlosh Kumar Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 09:38 AM (IST)

    ताजमहल के गुंबद पर चल रहे संरक्षण कार्य के कारण पर्यटकों को पाड़ हटने का इंतजार है। एएसआई, सीबीआरआई की रिपोर्ट पर दिल्ली मुख्यालय से दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार कर रहा है। दिसंबर के अंत तक पाड़ हटाने की संभावना है। पिछले साल कब्रों वाले कक्ष में पानी टपकने की समस्या आई थी, जिसके बाद गुंबद के संरक्षण का काम शुरू किया गया।

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    ताजमहल।

    जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल के गुंबद पर लगे कलश के चारों ओर बंधी पाड़ (शटरिंग या स्केफोल्डिंग) के हटने का अभी पर्यटकों को इंतजार करना होगा।

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) की रिपोर्ट पर दिल्ली मुख्यालय से दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार कर रहा है। तब तक मुख्य मकबरे की छत व गुंबद पर संरक्षण से संबंधित अन्य काम किए जा रहे हैं।

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    अधिकारी दिसंबर के अंत तक पाड़ हटाए जाने की बात कर रहे हैं। तब ताजमहल का रूप निखरकर आएगा। अभी फोटो खींचने पर पाड़ नजर आती है।

    ताजमहल में मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रों वाले कक्ष में पिछले वर्ष पानी टपका था। शहर में 10 से 12 सितंबर तक निरंतर रिमझिम वर्षा होने की वजह से यह स्थिति हुई थी।

    एएसआइ ने ड्रोन कैमरे से ताजमहल के कलश की थर्मल इमेज ली थीं, जिनमें कलश में पानी नजर आया था। लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) तकनीक से भी जांच की गई थी। इसमें गुंबद व मकबरे की छत में दो जगह से पानी के रिसाव की जानकारी सामने आई थी।

    Taj Mahal Kalash

    मुख्य गुंबद पर लगी पाड़।

    इस वर्ष जून में एएसआइ ने 78 लाख रुपये की लागत से मुख्य मकबरे की छत और गुंबद के संरक्षण का काम शुरू किया था। इसके लिए गुंबद पर लगे कलश (पिनेकल) के चारों ओर पाड़ बांधी गई थी। यह अब तक बंधी हुई है।

    एएसआइ हर बार इसे हटाने का समय बता देता है, लेकिन पाड़ नहीं हट पा रही है। उधर, पर्यटक यह जानने के इच्छुक हैं कि ताजमहल के व्यू में आ रही पाड़ की बाधा कब दूर होगी।

    दरअसल, एएसआइ को सीबीआरआइ की रिपोर्ट पर दिल्ली मुख्यालय के दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार है। सीबीआरआइ की टीम ने 31 जुलाई व एक अगस्त को गुंबद व कलश की थर्मल स्कैनिंग कर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट एएसआइ को दी थी।

    अधीक्षण पुरातत्वविद डा. स्मिथा एस. कुमार ने बताया कि ब्रिटिश काल के बाद गुंबद पर गैप फिलिंग और कलश के संरक्षण का काम अब किया जा रहा है। बार-बार पाड़ बांधना और हटाना उचित नहीं है। सीबीआरआइ की रिपोर्ट पर दिल्ली मुख्यालय ही निर्णय लेगा।

    हमारा प्रयास रहेगा कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में उमड़ने वाली पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए तब तक संरक्षण का काम पूरा कर लें।