Taj Mahal: ताजमहल के गुुंबद और कलश की CBRI ने की थर्मल स्कैनिंग, भारी बारिश में कहां से आया था पानी; होगा खुलासा
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की ने ताजमहल के गुंबद और कलश की थर्मल स्कैनिंग की है। यह स्कैनिंग सितंबर 2024 में हुई भारी बारिश के बाद पानी के रिसाव की जांच के लिए की गई है। एक सप्ताह में सीबीआरआई अपनी रिपोर्ट देगा जिसके आधार पर एएसआई संरक्षण के लिए कदम उठाएगा। इससे पहले 1941-42 में गुंबद का संरक्षण हुआ था।

जागरण संवाददाता, आगरा: केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की ने ताजमहल में मुख्य मकबरे के गुंबद व कलश (पिनेकल) की थर्मल स्कैनिंग की है। सीबीआरआई एक सप्ताह में ताजमहल के गुंबद व कलश में हुए पानी के रिसाव पर अपनी रिपोर्ट देगा। इसके आधार पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संरक्षण को आवश्यक कदम उठाएगा।
सीबीआरआइ को स्मारक की स्थिरता की जांच के लिए भी विस्तृत अध्ययन करना है। इससे पूर्व उसने वर्ष 2015 में थ्री-डी लेजर स्कैनिंग की थी, जिससे कि भविष्य में स्मारक में किसी तरह का बदलाव होने पर तैयार डाक्यूमेंट से सटीक जानकारी उपलब्ध हो सके।
टीम ने स्मारक में किया प्राथमिक अध्ययन, एक सप्ताह में आएगी रिपोर्ट
सीबीआरआइ की टीम दो दिवसीय दौरे पर आगरा आई थी। टीम ने गुरुवार को ताजमहल में निरीक्षण कर प्रत्येक भवन को देखा था। अत्यधिक वर्षा की वजह से टीम मुख्य मकबरे की छत पर नहीं जा सकी थी। शुक्रवार को टीम के दो सदस्य एएसआई के अधिकारियों के साथ मुख्य मकबरे की छत पर गए। मुख्य मकबरे के गुंबद और कलश की थर्मल स्कैनिंग उन्होंने की। यह प्राथमिक अध्ययन बताया जा रहा है। सीबीआरआई पूरे मकबरे की स्थिरता की जांच बाद में करेगा।
सितंबर, 2024 में लगातार वर्षा होने पर टपका था छत और गुंबद से पानी
वर्ष 2024 में 10 से 12 सितंबर तक आगरा में निरंतर वर्षा होने पर मुख्य मकबरे में शाहजहां व मुमताज की कब्रों वाले कक्ष में पानी टपका था। तब एएसआई ने ड्रोन कैमरे से ताजमहल के कलश की थर्मल इमेज ली थीं, जिनमें कलश में पानी नजर आया था। इसके साथ ही लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) तकनीक से जांच की गई थी। इसमें गुंबद व मकबरे की छत में दो जगह से पानी के रिसाव की जानकारी मिली थी। तब गुंबद के पत्थरों पर टीप (प्वाइंटिंग) का काम किया गया था।
सहायक पुरातत्व अधीक्षण अभियंता सुरेश कुमार ने बताया कि, सीबीआरआई को पूरे मकबरे की स्थिरता की जांच को अध्ययन करना है। गुंबद व कलश की जांच की रिपोर्ट एक सप्ताह में आ जाएगी।
आठ दशक बाद हो रहा है संरक्षण
ताजमहल के गुंबद के संरक्षण का काम आठ दशक से अधिक समय के बाद करीब 78 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है। इससे पूर्व वर्ष 1941-42 में ताजमहल के गुंबद के संरक्षण का काम किया गया था।
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