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    Petha of Agra: पेठे में बढ़ रही मिठास, नवरात्र के लिए दूसरे राज्‍यों में जाने को हो रहा है तैयार

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 26 Sep 2021 08:56 AM (IST)

    आगरा में चार करोड़ के आर्डर से पेठे की बढ़ी मिठास। नवरात्र के लिए तैयार कराया जा रहा है 15 तरह का पेठा। दिल्ली राजस्थान मध्यप्रदेश गुजरात और चंडीगढ़ स ...और पढ़ें

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    आगरा में नवरात्र के लिए पेठे की तमाम वैरायटियां तैयार हो रही हैं।

    अगरा, संजीव जैन। कोरोना काल में पेठा कारोबार बुरे दौर से गुजरा। अब ताजमहल पर पर्यटक बढऩे और त्योहारी सीजन के चलते पेठा कारखानों में भट्ठियां धधकने लगी हैं। दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और चंडीगढ़ से करीब चार करोड़ रुपये के आर्डर मिल चुके हैं। नवरात्र प्रारंभ होने तक 25 करोड़ रुपये तक के आर्डर मिलने की उम्मीद है। उत्पादक 15 तरह का पेठा तैयार कर रहे हैं, लेकिन चेरी पेठे की डिमांड सर्वाधिक है।

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    शहीद भगत ङ्क्षसह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बताया कि अप्रैल 2020 से 15 जून 2021 तक पेठा कारोबार के लिए काफी मंदा रहा है। अब जब स्थिति सामान्य है तो सात अक्टूबर यानी नवरात्र से फिर से पेठा कारोबार को उम्मीद बंधी है। इस दौरान पेठे की मांग चार गुना तक बढ़ जाती है। काङ्क्षलदी पेठा समिति के उपाध्यक्ष सोनू मित्तल ने बताया कि वैसे तो सबसे ज्यादा सूखा व अंगूरी पेठे की मांग रहती है, लेकिन नवरात्र में चेरी पेठे की मांग अधिक होती है। यह स्वाद में सादा पेठे जैसा ही होता है, लेकिन छोटे-छोटे पीस में होता है। पेठा फल से बनता है, इसलिए व्रत में भी खा सकते हैं। इसकी कीमत भी कम होती है। अनुमान के मुताबिक नवरात्र पर करीब दो करोड़ रुपए का पेठा प्रतिदिन बिकता है।

    ये है कारोबार

    पेठा बनाने वाली इकाई- 359

    पेठे कारोबार से जुड़े कारीगर - 12 हजार

    पेठे की दुकानें - तीन हजार

    बदला पेठे का स्वाद

    प्राचीन पेठा के मालिक राजेश अग्रवाल बताते है कि वक्त के साथ पेठे के स्वरूप में काफी बदलाव आया है। वर्ष 1940 से पूर्व पेठा आयुर्वेदिक औषधि के रूप में तैयार किया जाता था। पेठा कुम्हड़ा नाम के फल से बनाया जाता है। वर्ष 1940 के आसपास दो प्रकार का पेठा बनता था। वर्ष 1945 में गोकुल चंद गोयल ने पेठे में नया प्रयोग किया। खांड के स्थान पर चीनी और सुगंध का प्रयोग करते हुए सूखा के साथ रसीला पेठा भी बनाया, जिसे अंगूरी पेठा कहा जाने लगा। तब इसे मिट्टी की हांडी में रखकर बेचा जाता था, जिससे इसका स्वाद काफी उम्दा हो जाता था। उसके बाद पेठे में केसर और इलाइची के साथ नए जायके का उदय हुआ। वर्ष 1958 के बाद पिस्ते, काजू, बादाम आदि का भी प्रयोग किया जाने लगा। वर्ष 2000 में सैंडविच पेठा जिसमें काजू, किशमिश, चिरोंजी आदि का पेस्ट बनाकर पेठा बनाया गया। वर्ष 2006 में पान गिलोरी, गुझिया पेठा, चाकलेट, कोको, लाल पेठा, दिलकश पेठा, पिस्ता पसंद, पेठा रसभरी, पेठा मेवावाटी, शाही अंगूर, पेठा बर्फी, पेठा कोकोनट, संतरा स्पेशल, पेठा चेरी, पेठा शालीमार, गुलाब लड्डू बनना प्रारंभ हो गया। गुलाब लड्डू में पेठे को घिसकर पेस्ट बनाकर गुलकंद और मेवा भरकर बनाया जाता है।