ट्रैफिक अपराध माफी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, नियमों के उल्लंघन का डर होगा खत्म
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों को माफ करने पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि इससे अपराधियों में डर खत्म हो जाएगा। अधिवक्ता केसी जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार का यह कदम गलत है, क्योंकि इससे नशे में गाड़ी चलाने जैसे अपराध करने वाले भी बच निकलेंगे। कोर्ट ने सरकार से इस फैसले पर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट।
अली अब्बास, आगरा। ”यदि ट्रैफिक अपराध अशमनीय है, तो हम आश्चर्य करते हैं कि राज्य किस प्रकार एक संशोधन लाकर एक ही झटके में अदालत को बता सकता है कि इनके संबंध में लंबित कार्यवाही समाप्त हो गई है।
इसका परिणाम यह होगा कि नशे में वाहन चलाने के आरोप में बुक किया गया व्यक्ति बिना किसी दंड के बच निकल जाएगा। भले ही मामला 5 वर्षों से लंबित हो। परंतु क्या केवल लंबी अवधि बीत जाना कार्यवाही समाप्त करने का औचित्य बन सकता है?
इस प्रकार एकमुश्त कार्यवाहीयों की समाप्ति से ऐसे अपराधों के प्रति डर पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।“ यह तीखी टिप्पणीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 नवंबर को अधिवक्ता व रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट केसी जैन द्वारा प्रस्तुत याचिका पर की गईं।
अधिवक्ता ने उत्तर प्रदेश में वर्ष 2023 में लागू किए गये उस कानून के विरूद्ध याचिका प्रस्तुत की थी, जिसके द्वारा एक जनवरी 2017 से 31 दिसंबर 2021 तक के न्यायालय में लंबित सभी यातायात नियमों के उल्लंघन संबंधी समाप्त कर दिये गए है।
याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जे.बी पारदीवाला एवं के.वी. विश्वनाथन की बेंच द्वारा की गई और उत्तर प्रदेश के परिवहन व विधि विभाग द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत करने के आदेश पारित किए। याचिका में स्वयं अधिवक्ता जैन द्वारा अपनी बात रखी गई।
न्यायालय ने अपने आदेश में आगे कहा कि ”भारत जैसे देश में यातायात एक बड़ी समस्या है। बड़े शहरों सहित कस्बों में भी ट्रैफिक का नियमन अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। नागरिक भी यातायात नियमों एवं विनियमों का पालन करने में उतने अनुशासित नहीं हैं।
ऐसी परिस्थिति में आवश्यक है कि डर बना रहे।यह अत्यधिक शक्तिशाली कारों का युग है, और यह आम अनुभव है कि चालक इन शक्तिशाली कारों को नियंत्रित नहीं कर पाते जिससे दुर्घटनाएँ होती हैं।“
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सुनवाई के दौरान जो तथ्य हमारे संज्ञान में आए हैं, उससे यह स्पष्ट होता है कि 31 दिसंबर 2021 की स्थिति में मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराधों के मुकदमों की समाप्ति का प्रभाव अत्यंत गंभीर होने वाला है।
उक्त अपराधों से संबंधित सभी कार्यवाही, जो मजिस्ट्रेटों के समक्ष लंबित थीं, स्वतः समाप्त हो गईं। इन अपराधों में ऐसे कई अपराध भी सम्मिलित हैं जिनके लिए दंड का प्रावधान अनिवार्य है।
न्यायालय ने ट्रैफिक अपराधों को समाप्त करने के लिए लाए गए कानून पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा लाए गए इस संशोधन के संबंध में हमारी प्रमुख चिंता नियमों को पालन न करने पर भय न होने की है।
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य के विधि विभाग के सचिव तथा परिवहन विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि वे धारा-वार कार्यवाही को समाप्त करने के औचित्य के संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करें।
अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि वर्ष 1977 से वर्ष 2021 तक 44 वर्ष में पांच कानून उत्तर प्रदेश विधायिका द्वारा समय-समय पर बनाए गए। जिनके द्वारा इस अवधि में जो भी यातायात नियमों के उल्लंघन सम्बन्धी मुकदमे न्यायालयों में लंबित थे, समाप्त कर दिये गए।
जिससे यातायात नियमों के न पालने करने के प्रति भय कम हो गया है। इस कानून के कारण 10.46 लाख से अधिक ट्रैफिक से संबंधित मुकदमे प्रदेश की अदालतों में समाप्त हो गए हैं। एक लाख से अधिक चालान परिवहन विभाग के स्तर पर समाप्त कर दिये गए।
उन्होंने कहा कि यह केवल कानून का नहीं, मानव जीवन का प्रश्न है। हर वर्ष उत्तर प्रदेश में हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। ट्रैफिक अपराधों को एक झटके में समाप्त करने वाले ऐसे कानून उन परिवारों के प्रति अन्याय हैं।
जिन्होंने अपने प्रियजनों को सड़क हादसों में खोया है। न्याय का अर्थ केवल सजा नहीं, बल्कि समाज को सुरक्षित बनाना भी है।
अशमनीय अपराधों की सूची
184 (ए) लाल बत्ती कूदना
184 (बी) स्टाप लाइन का उल्लंघन
184 (डी) वाहनों को अवैध ढंग से ओवरटेक करना
182ए (2) लाइसेंस से संबंधित अपराध
185 नशे की हालत में वाहन चलाना
187 दुर्घटना से संबंधित अपराधो के लिए दंड
192बी(1) व (2) पंजीकरण से संबंधित अपराध
193 एजेंटों, कैनवेसरों एग्रीगेटरों द्वारा बिना प्राधिकरण काम करना
197 बिना अधिकार के वाहन ले जाना
198ए सड़क डिजाइन, निर्माण एवं रख-रखाव मानकों का अनुपालन न करना
199 किशोर द्वारा किया गया अपराध

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