Sewage Problem: आगरा में सिस्टम का फीवर नाला और सीवर, सुप्रीम कोर्ट भी जता चुका है चिंता
Sewage Problem सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी जता चुका है चिंता फिर भी हालत में नहीं हुआ सुधार। आगरा महायोजना-2021 के सुझावों पर भी नहीं किया गया अमल। जरा सी बारिश में पाश कालोनियों से लेेकर मलिन बस्तियों तक में जलभराव हो जाता है।

आगरा, जागरण संवाददाता। कमला नगर हो या फिर जयपुर हाउस की कालोनियां। कई कालोनियों में सीवेज पाइप लाइन से गुजरने के बदले सीधे नाले में गिरता है। शहर में चौपट नाला और सीवर सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी चिंता जता चुका है लेकिन इसके बाद भी नगर निगम, एडीए और वबाग कंपनी के अफसरों ने सिस्टम में कोई सुधार का प्रयास नहीं किया। यहां तक अगरा महायोजना-2021 में नाले और सीवर लाइन को लेकर जो सुझाव दिए गए थे। उन बिंदुओं पर अमल नहीं किया गया। यही वजह है कि जरा सी बारिश में पाश कालोनियों से लेेकर मलिन बस्तियों तक में जलभराव हो जाता है।
नाले एक नजर में
- नगर निगम के सौ वार्डों में 331 नाले हैं। इसमें 21 बड़े और 15 भूमिगत नाला हैं।
- नालों की कुल लंबाई 70 किमी है। प्रमुख रूप से बड़े नालों में मंटोला नाला, खतैना, चून पचान, अशोक नगर, गढ़ी भदौरिया, नेशनल हाईवे-19, ताज पूर्वी गेट नाला, कंसखार, वासन फैक्ट्री नाला शामिल हैं।
- 90 नालों में अभी तक 62 नाले ही टैप किए गए हैं। नालों का 180 एमएलडी गंदा पानी सीधे यमुना नदी में गिर रहा है।
- 30 फीसद नाले 50 साल पुराने हैं। 20 फीसद नाले 40 साल, 30 फीसद नाले 25 साल और 20 फीसद नाले दस साल पुराने हैं।
- आवास विकास, कमला नगर, जयपुर हाउस, बोदला, सिकंदरा, शाहगंज सहित कई अन्य क्षेत्रों में नालों में सीवर लाइन को कनेक्ट कर दिया गया है।
- नालों की सफाई में हर दिन 50 टन सिल्ट निकलती है।
सीवेज सिस्टम
- शहर में सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 27 सीवेज पंपिंग स्टेशन हैं।
- हर दिन 280 एमएलडी गंदा पानी निकलता है।
- सौ वार्डों में सीवर लाइन की लंबाई 1100 किमी है। सीवर लाइन की सफाई के लिए 25 हजार मैनहोल हैं।
- 20 फीसद सीवर लाइन 50 साल पुरानी है। 30 फीसद सीवर लाइन 35 साल, 20 फीसद सीवर लाइन 20 साल और 30 फीसद सीवर लाइन दस साल पुरानी है।
- शास्त्रीपुरम, आवास विकास कालोनी सेक्टर एक से 16 तक, जयपुर हाउस की 50 कालोनियां, कमला नगर ब्लाक ए से एफ तक कई जगहों पर सीवर लाइन ठीक से कनेक्ट नहीं है।
- जल संस्थान के पास सीवेज नेटवर्क का नक्शा नहीं है।
- वबाग कंपनी को हर साल सीवेज नेटवर्क की सफाई और मरम्मत के लिए 43 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है। पांच करोड़ रुपये कंपनी को सीवर और पानी की लाइन की मरम्मत में खर्च करने होते हैं।
नालों की सफाई ठीक से न होने के कारण हर साल जलभराव होता है। इस साल भी नालों की तलीझाड़ सफाई नहीं हुई है।
धर्मवीर सिंह, पार्षद
- कागजों में नाले साफ हो रहे हैं। इसी के चलते जरा सी बारिश में रोड और गलियां नदी बन जाती है। नगर निगम के अफसरों को सही तरीके से प्लानिंग करनी चाहिए।
मुकेश यादव, पूर्व पार्षद
- जगह-जगह सीवर लाइन चोक पड़ी है। बारिश में सीवर का गंदा पानी लोगों के घरों में भर जाता है।
शिरोमणि सिंह, पार्षद
- बाईंपुर नाला की ठीक से सफाई नहीं हुई है। नगर निगम की प्लानिंग पूरी तरह से फेल है।
प्रताप सिंह गुर्जर, पार्षद
- कई जगहों पर नाले में सीवर लाइन जोड़ दी गई है। जैसे ही नाले ओवरफ्लो होते हैं। गंदा पानी लोगों के घरों में पहुंचने लगता है।
विवेक तोमर, पार्षद
नगर निगम सदन में कई बार गूंजा है मामला
पार्षद रवि माथुर ने बताया कि पिछले साल हुए सदन में नालों और सीवरा लाइन की सफाई का मुद्दा सदन में रखा गया था। शासन के आदेश के अनुसार 15 अप्रैल से 15 जून तक नालों की तलीझाड़ सफाई होनी चाहिए। नाले अंतिम छोर से शुरुआत तक साफ होने चाहिए जबकि निगम प्रशासन द्वारा टुकड़ों में नालों की सफाई की जाती है। पार्षद राकेश जैन ने बताया कि समय पर नालों की सफाई होनी चाहिए।
नालों की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हर दिन जो भी शिकायतें मिलती हैं, उस आधार पर नालों की सफाई कराई जाती है। जलभराव न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।
नवीन जैन, मेयर
आगरा महायोजना-2021 में यह सुझाए गए थे बिंदु
- शहर में व्यवस्थित तरीके से सीवर लाइनों को बिछाया जाए। इससे सीवेज सिस्टम विकसित हो सकेगा।
- सभी नालों को टैप किया जाए और गंदे पानी को शोधन करने के बाद यमुना नदी के डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जाए। - एसटीपी की संख्या को और भी बढ़ाया जाए, रखरखाव सही तरीके से किया जाए।
- नालों के दोनों तरफ पौधारोपण किया जाए।
- नाली और नालों में कूड़ा न जाने दिया जाए।
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