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IAS Success Story: वतन की मोहब्बत ने आसान कर दिया जिंदगी का सफर, साॅफ्टवेयर इंजीनियरिंग छोड़ बनीं IAS

पावर कॉरपोरेशन की एमडी आइएएस सौम्या अग्रवाल ने लंदन से नौकरी छोड़कर शुरू की थी यूपीएससी की तैयारी। प्रथम बार में ही पास की थी यूपीएससी की परीक्षा दो जिलों में रह चुकीं हैं जिलाधिकारी। 2008 बैच की हैं आइएएस ऑफीसर।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 12:28 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 12:28 PM (IST)
IAS Success Story: वतन की मोहब्बत ने आसान कर दिया जिंदगी का सफर, साॅफ्टवेयर इंजीनियरिंग छोड़ बनीं IAS
डीवीवीएनएल की प्रबंध निदेशक (एमडी) सौम्या अग्रवाल।

आगरा, सुबान खान। वतन की मोहब्बत और मेरा पहला इम्तिहान। जिसे मैंने गंभीरता से लिया। उसने मेरी जिंदगी के सफर को इतना आसान बना दिया कि मैंंने पिताजी के भरोसे को फतह किया और दादाजी की ख्वाहिश पूरी कर दी। नौकरी को अलविदा कहने के दो वर्ष बाद नई पारी की शुरुआत हुई और मैं करियर में एसडीएम, सीडीओ, डीएम से लेकर एमडी तक की ऊंचाई पर सुखद अहसास के साथ चढ़ गई।

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यह कहानी किसी और की नहीं, बल्कि आइएएस व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) की प्रबंध निदेशक (एमडी) सौम्या अग्रवाल की है। उन्होंने दैनिक जागरण से साथ बचपन से लेकर एमडी की कुर्सी तक पहुंचने के सफर की दांस्ता बयां की है। सौम्या की प्राथमिक शिक्षा नवाबों के शहर लखनऊ में पूरी हुई। पिता ज्ञानचंद अग्रवाल रेलवे में सिविल इंजीनियर थे। उनका परिवार आलमबाग की रेलवे कालोनी में रहता है। वह हमेशा साइकिल से स्कूल जाती थीं।

सेंट मैरी कांवेंट स्कूल से इंटरमीडिएट पास करने वाली अग्रवाल परिवार की बेटी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया, लेकिन दिल्ली पहुंचने तक भी पढ़ाई की अहमियत को गंभीरता से नहीं समझा। दोस्तों के साथ रहते-रहते दिल्ली में ही साफ्टवेयर इंजीनियर बन गईंं और वर्ष 2004 में पुणे की एक निजी कंपनी में नौकरी मिल गई। कुछ दिन पुणे में रहना हुआ। फिर कंपनी ने ही लंदन भेज दिया। पढ़ाई पूरी हुई और नौकरी मिली जरूर, पर सौम्या के मन को संतुष्टि नहीं मिली। उन्हें लंदन में हमेशा अपने देश की याद सताती रही और देश की वह अवाम याद आती रही, जिसके लिए वह कुछ करना चाहती थीं। इसके अलावा मां-बाप से इतना दूर चला जाना भी उन्हें भड़का रहा था। दो वर्ष की नौकरी में ही कीबोर्ड पर ऊंगलियां कतराने लगीं और सौम्या उसकी टपटप से ऊब चुकी थीं। उन्होंने सारा माजरा पिता को बताते हुए पूछ लिया कि भारत में सबसे उच्च स्तर की नौकरी कौन सी है तो उनके पिता ने आइएएस का जिक्र कर दिया। सौम्या ने उसी वक्त ठान ली, कि आइएएस बनना है। उन्होंने पिता को आश्वास्त किया और वर्ष 2006 में नौकरी छोड़ भारत लौट आईं। लखनऊ में ही सौम्या ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि तीन माह दिल्ली के बाजीराव संस्थान में जरूर कोचिंग की थी। उन्होंने एक वर्ष की कड़ी मेहनत से पहली बार में ही यूूपीएससी का इम्तिहान को समेट कर रख दिया। परीक्षा के परिणाम की सूची में 24वें नंबर पर उनका नाम था और वर्ष 2008 में नवनियुक्त आइएएस सौम्या अग्रवाल ने कानपुर मेंं एसडीएम का कार्यभार संभाल लिया।

सिविल सर्विस में नहीं था परिवार का दूसरा सदस्य

सौम्या की बड़ी बहन पूजा अग्रवाल ने एमटेक करके निजी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। उनकी छोटी बहन जया अग्रवाल ने बिजनेस इकोनोमिक्स में पढ़ाई पूरी की और वह भी प्राइवेट नौकरी करने लगीं। सौम्या बताती हैं कि उनके दादाजी पीसी अग्रवाल पीडब्ल्यूडी में नौकरी करते थे। वे हमेशा कहते थे कि एक बार यूपीएससी की परीक्षा जरूर देनी चाहिए। मैने उनकी ख्वाहिश पूरी की है।

ये है एमडी तक का सफर

सौम्या की नौकरी की शुरुआत कानपुर से हुई। सर्वप्रथम वह कानपुर में उप जिलाधिकारी (एसडीएम) के पद पर तैनात हुईं। महाराजगंज में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और जिलाधिकारी (डीएम) रहीं। फिर उन्नाव में डीएम रहीं। फिर से उनकी तैनाती कानपुर में केस्को में बतौर एमडी हो गईंं और अब वह डीवीवीएनएल की प्रबंध निदेशक (एमडी) हैं। 


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