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    Taj Mahal: ताज की 140.91 फुट ऊंची मीनार, जानिए ASI कैसे करेगा इतनी ऊंचाई पर संरक्षण

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 25 Dec 2020 09:43 AM (IST)

    Taj Mahal ताज की दक्षिण-पश्चिमी मीनार का होगा संरक्षण। मीनार पर पाड़ बांधने का काम शुरू। पाड़ बांधने में लगा 15 दिन का समय। ऊंचाई पर चेन कुप्पी की सहायता से पहुंचाए जाएंगे पाइप। 25 लाख रुपये संरक्षण कार्य पर होंगे व्यय।

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    ताज की दक्षिण-पश्चिमी मीनार का होगा संरक्षण।

    आगरा, जागरण संवाददाता। ताजमहल की दक्षिण-पश्चिमी मीनार के खराब हुए पत्थरों को बदलने और निकले पत्थरों को लगाने का संरक्षण शुरू होने जा रहा है। इसके लिए मीनार पर पाड़ बांधने का काम शुरू कर दिया गया है। पाड़ बांधने में 15 दिन का समय लगेगा। इसके बाद मीनार का संरक्षण शुरू कर दिया जाएगा।

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    ताजमहल में चारों कोनों पर मीनारें बनी हुई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा दक्षिण-पश्चिमी मीनार का संरक्षण किया जाना है। इसके लिए मीनार पर पाड़ बांधी जा रही है। मीनार में अंदर की तरफ रेड सैंड स्टोन की नीचे से ऊपर तक जाने को सीढ़ियां बनी हुई हैं। इनमें से 15 सीढ़ियों के पत्थर बारिश का पानी मीनार में अंदर आने की वजह से खराब हो चुके हैं। इन खराब पत्थरों को बदला जाएगा। मीनार में अंधेरा रहता है, इसलिए जब ऊपर तक पाड़ बंध जाएगी तो अंदर की तरफ प्रकाश की व्यवस्था कर मीनार का जायजा लिया जाएगा। जो पत्थर खराब मिलेंगे, उन्हें बदल दिया जाएगा। मीनार के बाहर की तरफ बार्डर व पच्चीकारी से निकले पत्थरों को भी दोबारा लगाया जाएगा। ताजमहल की दक्षिण-पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, उत्तर-पश्चिमी मीनारों का संरक्षण इससे पूर्व किया जा चुका है।

    अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि मीनार के संरक्षण पर करीब 25 लाख रुपये व्यय होंगे। इसमें तीन से चार माह का समय लगेगा।

    140.91 फुट ऊंची है मीनार

    प्रत्येक मीनार की ऊंचाई जमीन से कलश तक 42.95 मीटर (140.91 फुट) है। इसके चलते उस पर ऊपर तक पाड़ बांधना बड़ा चुनौतीपूर्ण है। ऊपर तक पाइप चेन कुप्पी की सहायता से पहुंचाए जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही किया जा रहा है।

    केमिकल ब्रांच ने दी थी जानकारी

    मीनार की ऊंचाई अधिक होने से पच्चीकारी व बार्डर से निकले हुए पत्थर नीचे से नजर नहीं आते हैं। एएसआइ की केमिकल ब्रांच ने जब मीनार की सफाई को मडपैक किया था, तब उसने पच्चीकारी के पत्थरों के निकले होने की जानकारी विभाग को दी थी। जिसके बाद संरक्षण की योजना बनाई गई।