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    'मां के हाथ में कौर,आंखों में आंसू', बेटे ने छीना खाना, 5 KM नंगे पैर चल थाने पहुंची, आगरा पुलिस ने धुलवाए पैर

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sat, 16 Sep 2023 12:24 PM (IST)

    Agra News In Hindi थाने की मेस में अपने सामने रखी गई खाने की थाली देख माया देवी की आंखें भर आईं। बेटों के तिरस्कार के चलते वह इस तरह सम्मान के साथ खाना भूल चुकी थीं l वहीं पुलिस ने उनके कीचड़ से सने नंगे पैर धुलवाएं और एक साड़ी खरीदकर दी। इसके बाद घर तक अपनी गाड़ी से छोड़ा।

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    माया देवी को खाना खिलाने के बाद घर लेकर पहुंचीं (दाएं से दूसरी) दारोगा रविता यादव, आरक्षी श्वेता व अन्य

    आगरा, जागरण टीम, (अजय परिहार) l शमसाबाद आज उंगली थाम के तेरी, तुझे मैं चलना सिखलाऊं। कल हाथ पकड़ना मेरा जब मैं बूढी हो जाऊं। माया देवी ने बेटों को इस उम्मीद से पाला था। बुजुर्ग मां का हाथ थामने की बारी आई तो बेटों ने रिश्ते को स्वार्थ की खूंटी पर टांग दिया। शुक्रवार शाम को 80 वर्षीय मां के हाथों से रोटी छीन ली। धक्के मारकर घर से निकाल दिया।

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    दो दशक से बेटे के हाथों तिरस्कार झेल रहीं माया देवी का धैर्य जवाब दे गया। अपना दर्द लेकर पैदल ही थाने चल दीं। तीन घंटे में पांच किलोमीटर की दूरी तय कर रात आठ बजे थाने पहुंची। अपने तिरस्कार और बेटों के उत्पीड़न की कहानी बताई तो वहां पुलिसकर्मी भी द्रवित हो उठे। बुजुर्ग मां के हाथ-पैर धुलवाए नई साड़ी के बाद उन्हें मेस में खाना खिलवाया। अपनी गाड़ी से घर लेकर पहुंचे, मां के हाथों से रोटी छीनने वाले बेटे को थाने लेकर आ गए।

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    महिला हेल्प डेस्क पर रोती पहुंची महिला

    थानाध्यक्ष अनिल शर्मा रात आठ बजे थाने में आने वाली डाक निपटा रहे थे। दारोगा बबिता यादव और आरक्षी श्वेता महिला हेल्प डेस्क पर थे। अनिल शर्मा के सामने 80 वर्षीय माया देवी पहुंची। उनके हाथ-पैर कीचड़ से सने थे। पैर में घाव थे। वह एक बचे की तरह बिलख रही थीं। शरीर पर पेटीकोट और ब्लाउज था।

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    माया देवी ने बताया कि उनके 10 बच्चे थे। आठ बेटे और दो बेटी। छह बेटों की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई। अब दो बेटे और दो बेटी हैं। बेटियां अपनी ससुराल में रहती हैं। पति की 20 वर्ष पहले मौत हो गई थी। दोनों बेटो की शादी हो चुकी है। बड़े बेटे दरियाव की पत्नी दो वर्ष पहले उसे छोड़कर चली गई थी।

    खाना भी नहीं देते बेटे

    बेटा मुकेश पत्नी संगीता और बच्चों के साथ इसी मकान में रहता है। वह बेटे दरियाव के साथ रहती हैं। दोनों बेटे उनका उत्पीड़न करते हैं। बात-बात पर तिरस्कार करते हैं। शुक्रवार शाम पांच बजे छह रोटियां बनाई थीं। अपने हिस्से की दो रोटियां खाने बैठी थीं। पहला कौर तोड़ा था, बेटा मुकेश पहुंचा और रोटी छीनकर फेंक दी। उन्हें धक्के मारकर घर से निकाल दिया।

    वह सालों से बेटों का तिरस्कार और उत्पीड़न सह रही थीं। जब सहनशक्ति जवाब दे गई ताे बेटों को सबक सिखाने पुलिस के पास आना पड़ा। इससे पहले वह कभी थाने की चौखट पर नहीं आई थीं।

    बुजुर्ग महिला के बेटे को थाने लाया गया है। उसकी काउंसिलिंग की जाएगी। इसके बाद भी अगर नहीं सुधरता है तो विधिक कार्रवाई की जाएगी। आरक्षी को निगरानी करने की कहा गया है। अनिल शर्मा, थानाध्यक्ष

    हर कौर के साथ बह रहे थे आंसू

    महिला आरक्षी श्वेता और दारोगा रबिता ने वृद्धा के हाथ-पैर धुलवाए। बाजार से उसके लिए नई साड़ी लेकर आए थे। उसे पहनाने के बाद मेस से खाना मंगवाकर अपने साथ बैठाकर खिलाया। इस सम्मान से वृद्धा के नेत्र सजल हो उठे। हर कौर के साथ उसकी आंसू निकल पड़ते।

    बेटा ऐसा सबक सिखाओ कि मुझे परेशान न करें

    रात करीब नौ बजे पुलिस माया देवी को उनके घर लेकर पहुंची। वृद्धा का थानाध्यक्ष अनिल शर्मा से कहना था कि कोख से पैदा इन बेटों को ऐसा सबक सिखाओ कि वह दोबारा उसे परेशान न करें। पुलिस ने बहू संगीता को चेतावनी दी। बेटे मुकेश को पकड़कर थाने ले आई।

    तीन घंटे पैदल चलते-चलते कई जगह बैठीं

    गांव से पांच किलोमीटर की दूरी तय करने के दौरान वृद्धा को तीन घंटे लगे। इस दौरान उसने कई जगह रुक कर आराम किया। ग्रामीणों ने कई बार उससे पूछा कि अम्मा कहां जा रही हो, वह कहती, बेटों को सबक सिखाने जा रही हूं।