आगरा किले के माधवगढ़ की तरह संवरेगा सिकंदरा का उद्यान, झाड़ियों को हटाया गया, पेड़ों के साथ लगेगी घास
एएसआइ यहां आगरा किला के माधवगढ़ (खाई के बाहर यमुना किनारा रोड से लगे क्षेत्र) और सिकंदरा के कांच महल के समीप विकसित उद्यान की तरह काम करेगा। माधवगढ़ में लगभग 15 वर्ष पूर्व एएसआइ ने उद्यान विकसित किया था।

जागरण संवाददाता, आगरा: आगरा किला के माधवगढ़ की तरह सिकंदरा के उद्यान को विकसित किया जाएगा। दक्षिणी गेट के दाईं व बाईं तरफ स्थित उद्यान में झाड़ियों को साफ किया जा रहा है। यहां पेड़ों के बीच प्राकृतिक घास को उगने दिया जाएगा। इसे देखरेख की अधिक आवश्यकता भी नहीं होगी। सिकंदरा से काले हिरनों को इटावा स्थित लायन सफारी में फरवरी में स्थानांतरित कर दिया गया था।
हिरनों का स्थानांतरण होने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने सिकंदरा के उद्यान को संवारने का काम शुरू किया है। इसके पहले चरण में दक्षिणी गेट (मुख्य प्रवेश द्वार) के पूर्वी व पश्चिमी ओर स्थित उद्यान में काम प्रारंभ किया गया है। पूर्वी उद्यान में दीवार के बराबर में उगी झाड़ियों को हटा दिया गया है और पश्चिमी उद्यान में यह काम चल रहा है।
एएसआइ यहां आगरा किला के माधवगढ़ (खाई के बाहर यमुना किनारा रोड से लगे क्षेत्र) और सिकंदरा के कांच महल के समीप विकसित उद्यान की तरह काम करेगा। माधवगढ़ में लगभग 15 वर्ष पूर्व एएसआइ ने उद्यान विकसित किया था।
सिकन्दरा में बाहर से घास मंगाकर लगाने के बजाय प्राकृतिक घास उगने दी जाएगी। ताजमहल के समान यहां के उद्यान में काम नहीं किया जाएगा। ताजमहल की तरह उद्यान विकसित करने पर अधिक देखरेख, लागत, मानव श्रम व पानी की आवश्यकता होगी।
अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि सिकंदरा के उद्यान में कई चरणों में काम किया जाना है। हम उद्यान को मिली-जुली प्रकृति के आधार पर विकसित करेंगे। इसमें अधिक सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं होगी।
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