Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Founder of Gayatri Family: एक सोच से बदली दर्जनों गांवों की दिशा और दशा, आज भी लोग नशे के खिलाफ है यहां

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 20 Sep 2021 01:44 PM (IST)

    Shri Ram Sharma Aacharya आगरा के आंवलखेड़ा में जन्मे अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक-संरक्षक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य। आचार्य की जन्मस्थली व आसपास के गांवों में चल रहा नशाबंदी अभियान। गोमूत्र से बनी औषधियां और गोबर के विभिन्न उत्पाद दे रहे रोजगार।

    Hero Image
    गायत्री परिवार के संस्‍थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की सोमवार को जन्‍म जयंती है।

    आगरा, संजय रुस्तगी। ये एक सोच का ही कमाल है। आगरा जिले के गांव आंवलखेड़ा से निकली बदलाव की लहर ने दर्जनों गांवों की दिशा और दशा बदल दी। आंवलखेड़ा ऐसा गांव है, जहां अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक-संरक्षक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने 20 सितंबर, 1911 को जन्म लिया। आचार्य ज्ञान का दर्शन कराने निकले तो अनुयायियों का काफिला नजर आया। आज भी गांवों में कहींं नशा विरोधी अलख जगाते लोगों की टोली है तो कहीं बाल संस्कार के लिए लगी पाठशाला ध्यान खींचती है। आयुर्वेद की राह चले तो जीवन रक्षक दवा निर्माण से रोजगार की राह खोल दी। करीब 50 तरह की दवा के निर्माण के लिए इस छोटे गांव की पहचान बड़ी हो गई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रसिद्धी इतनी है कि आगरा से करीब 30 किलोमीटर दूर इस गांव तक पहुंचने के लिए अधिक पूछताछ की जरूरत ही नहीं पड़ती। बस आचार्य श्रीराम का गांव कहिए, क्षेत्र के बारे मेंं जानकारी रखने वाले पूरा रास्ता समझा देंगे। आचार्य के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए गायत्री शक्ति पीठ जुटी है। गांव के मध्य में स्थित आचार्य का पैतृक आवास तीर्थस्थल से कम नजर नहीं आता। यहां आसपास के लोगों के अलावा दूरदराज से भी रोजाना सैकड़ों लोग आते हैैं। पीठ में गाय के गोबर से लकड़ी व दीपक बनाए जाते हैैं, साथ ही फार्मेसी में गोमूत्र से विभिन्न रोगों की औषधि बनाई जाती है। इनकी सप्लाई देश के अलावा विदेश में भी की जाती है।

    आंवलखेड़ा को बनाया पर्यटन स्थल

    प्रदेश सरकार ने आंवलखेड़ा को पर्यटन स्थल घोषित किया है। लिहाजा, गांव में विकास कार्य भी होने लगे हैैं। इससे पूर्व 1995 में महायज्ञ होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव भी यहां आए थे। उन्होंने गांव को आदर्श गांव घोषित किया था।

    संक्षिप्त परिचय : श्रीराम शर्मा आचार्य एक व्यक्तित्व

    आचार्य जी को 15 वर्ष की उम्र में 1926 में मदन मोहन मालवीय ने काशी में गायत्री की दीक्षा दी। आचार्य जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़चढ़कर भागीदारी की। जेल में लोगों को साक्षर किया, खुद भी अंग्रेजी सीखी। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मिलने वाली पेंशन भी उन्होंने खुद लेने के बजाए प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करा दी। उन्होंने 3200 पुस्तकों का प्रकाशन किया है। उन्होंने मथुरा में भी गायत्री तपोभूमि की स्थापना की। हरिद्वार में शांतिकुंज की स्थापना की।

    बदलाव की बयार

    -गायत्री शक्ति पीठ की ओर से 24 गांव में नशा निवारण अभियान चल रहा है। गांव के वालंटियर लोगों को नशे से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूक करते हैैं। इसकी मानीटङ्क्षरग पीठ से होती है। हजारों लोग नशाबंदी को लेकर जागरूक हुए हैैं।

    -24 गांव में हर रविवार को बाल संस्कारशाला का आयोजन किया जाता है। बच्चों को कथा-कहानी के माध्यम से संस्कारों की जानकारी दी जाती है। दानकोर इंटर कालेज की छात्राएं भी संस्कारशाला मेंंं जानकारी देती हैैं। इससे बच्चे संस्कारवान हो रहे हैैं।

    -ग्रामीण क्षेत्र में हर वर्ष 31 हजार पौधों का रोपण किया जाता है। पौधे उन्हीं से लिए जाते हैैं,जो खुद लगाते हैैं। शिक्षा के लिए तीन कालेज संचालित किए जा रहे हैैं। गोबर से लकड़ी व दीपक बनाए जा रहे हैैं।

    आचार्य जी का लोगों का आत्मिक विकास करने का लक्ष्य था। उन्होंने हम बदलेंगे-युग बदलेगा सूत्रवाक्य दिया। गायत्री शक्ति पीठ इसे लेकर ही गांव-गांव जनजागरण कर रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैैं।

    -घनश्याम देवांगन, व्यवस्थापक, गायत्री शक्ति पीठ।