Tomb of Sultan Parvez: शाहजहां के बड़े भाई का मकबरा, आगरा में वजूद बचाने की लड़ रहा जंग
Tomb of Sultan Parvez एत्माद्दौला और चीनी का रोजा के बीच है सुल्तान परवेज का मिर्जा। संरक्षण के अभाव में होता जा रहा है खंडहर दीवारें हो रहीं खोखली। इ ...और पढ़ें

आगरा, जागरण संवाददाता। शाहजहां के बड़े भाई सुल्तान परवेज मिर्जा का मकबरा आगरा में अपने वजूद काे बचाने की जंग लड़ रहा है। यमुना पार चीनी का रोजा और एत्माद्दाैला के बीच स्थित मकबरा संरक्षित नहीं होने से खंडहर में बदल चुका है। इसकी सुध न तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने ली और ना राज्य पुरातत्व विभाग ने।
सुल्तान परवेज मिर्जा मुगल शहंशाह जहांगीर के बेटे और शाहजहां के बड़े भाई थे। उनका मकबरा आगरा में यमुना किनारे पर चीनी का रोजा और एत्माद्दौला के बीच स्थित है। इसे समरकंद में बने तैमूर के मकबरे की तरह बनाया गया था। इसके चारों ओर बाग था। ब्रिटिश काल मेें 19वीं शताब्दी में इसे नीलाम कर दिया गया था। बाग का अस्तित्व तो बचा नहीं, लेकिन सुल्तान परवेज का मकबरा खंडहर बन चुका है। इसकी दीवारें खोखली हो चुकी हैं और दीवारों का चूने का प्लास्टर झड़ चुका है, जिससे उसके कभी भी गिरने का खतरा बना हुआ है। हां, उसके गुंबद पर उल्टे बने कमल के फूल का डिजाइन आकर्षित करता है। एएसआइ ने इसके आसपास के स्मारकों व बागों को तो संरक्षित किया, लेकिन इसकी सुध नहीं ली, जिससे यह अपने वजूद को तरस रहा है। राज्य पुरातत्व विभाग ने तो इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। उचित मार्ग के अभाव में यहां तक पहुंचना भी आसान नहीं है।
एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन बताते हैं कि आगरा में इस तरह की धरोहरों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। उपेक्षा के चलते ऐसे स्मारक नष्ट होते जा रहे हैं। विरासत को सहेजकर हम आने वाली पीढ़ियों को उनके अतीत के बारे में जानकारी दे सकते हैं।
38 वर्ष की उम्र में ही हो गया था निधन
सुल्तान परवेज का जन्म वर्ष 1589 में हुआ था। वाे जहांगीर की तीसरी पत्नी साहिब जमाल के बेटे थे। सुल्तान परवेज शराब के लती हो गए थे। वर्ष 1627 में अत्यधिक शराब के सेवन से वो गंभीर रूप से बीमार हो गए। उपचार के बाद वो होश में आए, लेकिन कुछ समय बाद 38 वर्ष की आयु में उनकी मौत बुरहानपुर में हो गई। उनके शव को वहां से आगरा लाकर दफनाया गया।
रिवरफ्रंट डवलपमेंट प्रोजेक्ट में है शामिल
विश्व बैंक सहायतित प्रो-पुअर टूरिज्म डवलपमेंट प्रोजेक्ट में रिवरफ्रंट डवलपमेंट का काम रामबाग से मेहताब बाग तक पांच किमी क्षेत्र में होना है। इसमें सुल्तान परवेज के मकबरे का संरक्षण भी शामिल है। हालांकि, यह प्रोजेक्ट दो वर्षों से आगे नहीं बढ़ सका है। इसमें जमीन की उपलब्धता सबसे बड़ी बाधा है। वहीं, नदी किनारे विकास कार्यों में पर्यावरण संबंधी अनापत्ति की आवश्यकता भी होगी।

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