Azadi ka Amrit Mahotsav: आगरा में घर-घर में नमक बनाकर किया था सत्याग्रह, रोचक है पूरी दास्तां
Azadi ka Amrit Mahotsav कीठम झील और शाहदरा से एक मील दूर यमुना किनारे बनाया था सत्याग्रहियों ने नमक। वर्ष 1930 में गांधीजी के आह्वान पर सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुआ था आगरा। शहादरा से एक मील दूर यमुना किनारे श्रीकृष्णदत्त पालीवाल के नेतृत्व में नमक बनाया था।

आगरा, जागरण संवाददाता। जंग-ए-आजादी में आगरा के लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी ने वर्ष 1930 में जब सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो शहर के कोने-कोने में नमक बनाकर सत्याग्रह किया गया। कीठम झील और शाहदरा से करीब एक मील दूर यमुना किनारे नमक बनाया गया। ब्रिटिश सरकार ने सत्याग्रहियों को जेल भेजा था।
पुस्तक ''आगरा की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका'' में लिखा है कि जिला कांग्रेस कमेटी ने सभापति पं. श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल को आगरा सत्याग्रह संग्राम का प्रथम सेवक चुना था। सेठ अचलसिंह, श्रीचंद दौनेरिया, बाबू रामेश्वर नाथ टंडन, पं. विश्वेश्वरदयाल चतुर्वेदी, बाबू जसपत राय कपूर, बाबू मथुरा प्रसाद कक्कड़, पं. कालीचरण तिवारी और सूरजभान जसौरिया की समिति बनाकर धन प्रबंध का काम सौंपा गया। बाग मुजफ्फर खां में सत्याग्रह छावनी खोली गई और शहर कांग्रेस कमेटी के सभापति एस. मनोहर लाल और जगन प्रसाद रावत को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई। रुनकता में कीठम झील के किनारे सत्याग्रही नमक बनाने पहुंचे और वहां नमक बनाया। पुलिस ने स्वयंसेवकों पर लाठीचार्ज किया और उनका सामान जब्त कर लिया। अगले दिन स्वयंसेवकों ने कोतवाली पर प्रदर्शन किया। पुस्तक ''आगरा जनपद का राजनीतिक इतिहास'' के अनुसार सत्याग्रहियों ने शहादरा से एक मील दूर यमुना किनारे श्रीकृष्णदत्त पालीवाल के नेतृत्व में नमक बनाया था। पुलिस ने श्रीकृष्णदत्त पालीवाल को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें छह माह के कठोर दंड की सजा हुई। इससे देशभक्तों में जोश की लहर दौड़ गई। शहर में हड़ताल हो गई और शिक्षण संस्थाएं खाली पड़ी रहीं। घर-घर में नमक बनाया जाने लगा। यह नमक सोने की कीमतों पर बिका।
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