मैग्नेटिक फील्ड से रुकेगा डिप्रेशन
बॉलीवुड स्टार से लेकर बच्चों में डिप्रेशन आम है। दवाएं भी बेअसर हो रही हैं, ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय, आगरा में मैग्नेटिक फील्ड से डिप्रेशन का सटीक इलाज तलाशा जाएगा।
जागरण संवाददाता, आगरा: बॉलीवुड स्टार से लेकर बच्चों में डिप्रेशन आम है। दवाएं भी बेअसर हो रही हैं, ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय, आगरा में मैग्नेटिक फील्ड से डिप्रेशन का सटीक इलाज तलाशा जाएगा। यहां डिप्रेशन के मरीजों पर दवाएं, बिजली के झटके (आम भाषा में) और मैग्नेटिक फील्ड थैरेपी से डिप्रेशन का इलाज किया जा रहा है।
डिप्रेशन (अवसाद) के तमाम मरीजों में दवाओं के अच्छे रिजल्ट नहीं हैं। इन मरीजों का मानसिक रोग संस्थान में इलेक्ट्रोकनवल्सिव थैरेपी (आम भाषा में बिजली का झटका) से इलाज किया जाता है। इसमें सिर के हिस्से में मामूली इलेक्ट्रिक करंट दिया जाता है। इससे न्यूरो ट्रांसमिटर संतुलित हो जाते हैं, यह डिप्रेशन, सहित अन्य मनोरोग के इलाज में कारगर है। मगर, तीमारदार अपने मरीज को बिजली के झटके से इलाज के लिए तैयार नहीं होते हैं। इसके साइड इफेक्ट भी हैं। संस्थान में डिप्रेशन के सटीक इलाज के लिए रिपेटिटिव ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्ट्यूमलेशन (आरटीएमएस) थैरेपी की सुविधा शुरू की गई है। इसमें बिजली के झटके की जगह मैग्नेटिक फील्ड दिया जाएगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि डिप्रेशन के तमाम मरीजों पर दवाएं असर नहीं करती हैं। इन मरीजों में आरटीएमएस के रिजल्ट देखने के लिए शोध शुरू किया गया है। डिप्रेशन के मरीजों को दवाएं, इलेक्ट्रोकनवल्सिव थैरेपी और आरटीएमएस थैरेपी पर रखकर देखा जाएगा। जिससे डिप्रेशन के मरीजों के सही इलाज की गाइड लाइन तैयार हो सके। अभी देश-विदेश में इस क्षेत्र में ज्यादा काम नहीं हुआ है।
हर महीने डिप्रेशन के 1500 मरीज
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में हर महीने डिप्रेशन के 1500 मरीज आ रहे हैं। इसमें से अधिकांश मरीज पहले इलाज ले चुके होते हैं। मरीजों की संख्या अधिक होने पर संस्थान में शोध कार्य किया जा रहा है।
बीटा वेव और न्यूरो ट्रांसमिटर पर काम करेगा मैग्नेटिक फील्ड
डिप्रेशन के मरीजों में दिमाग के प्रीफ्रांटल कार्टेक्स पर मैग्नेटिक कॉइल लगाई जाती है। इससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड डेवलप होता है, यह फील्ड अवसाद पैदा करने वाली बीटा वेव और न्यूरो ट्रांसमिटर सेरोटोनिन व नॉर एड्रेनेलिन पर काम करता है। इनके स्तर को संतुलित कर देता है, 30 मिनट से एक घंटे की थैरेपी दी जाती है। इस थैरेपी के पांच से 20 सेशन दिए जाते हैं। हर मरीज को अलग अलग मैग्नेटिक फील्ड दिया जाता है।
सर्दी में बढ़ा डिप्रेशन, आत्महत्या की आशंका
सर्दी में डिप्रेशन के मरीज बढ़ जाते हैं। ऐसे मरीज गुमसुम हो जाते हैं, इन मरीजों के आत्महत्या करने की आशंका बढ़ जाती है। कई बार मरीज उग्र व्यवहार भी करने लगते हैं।
बार बार हाथ धोने की समस्या का भी इलाज
आरटीएमएस से ऑब्सेसिव कमपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) का भी इलाज किया जाता है। इसमें दिमाग में एक ही तरह के विचार बार-बार आने लगते हैं। बार-बार हाथ धोने की आदत इनमें से आम है।
अवसाद के लक्षण
- गुमसुम रहना, भूख न लगना।
- किसी से बात करने की इच्छा न होना। एकाग्रता में कमी आना।
- आत्महत्या करने के विचार आना।
- निराश होना, नकारात्मक विचार आना।
- नींद न आना, थकान महसूस होना।
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