Road Accidents: चौंकाने वाली है ये रिपोर्ट, देश के सर्वाधिक हादसों वाले 100 शहरों में पांच आगरा जोन के
सड़क परिवहन मंत्रालय ने देश के 100 सबसे खतरनाक शहरों में उत्तर प्रदेश के 28 शहरों को शामिल किया है, जिनमें आगरा जोन के पांच जिले भी हैं। प्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को शून्य करने के लिए प्रयासरत है। आगरा में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। 'जीरो फैटेलिटी डिस्ट्रिक्ट' अभियान चलाया जा रहा है और सड़क सुरक्षा मित्रों की नियुक्ति की जा रही है।

सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
अली अब्बास, जागरण। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा देश के सर्वाधिक हादसों वाले 100 शहरों को चिन्हित किया गया है। जिसमें उत्तर प्रदेश के 28 शहर शामिल हैं। इनमें पांच जिले आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद और अलीग़ढ़ शामिल हैं।
प्रदेश सरकार ने जन सुरक्षा नीति के तहत सड़क हादसों में होने वाली मृत्यु को दर को शून्य पर लाने का लक्ष्य रखते हुए यातायात पुलिस के अधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया है।
संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) को कार्यवाही एवं जनसहभागिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है।आगरा कमिश्नरेट में सड़क हादसों काे रोकने के लिए क्रिटिकल क्रैश लोकेशन एवं क्रिटिकल कारीडोर चिन्हित किए हैं। जिनके लिए विशेष योजना बनाई है।
आगरा में इस वर्ष जनवरी से अक्टूबर के दौरान 1209 से अधिक हादसों में 619 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आगरा में राष्ट्रीय राजमार्ग, लखनऊ व यमुना एक्सप्रेसवे पर सर्वाधिक हादसे होते हैं।
अलीगढ़, मथुरा और फिरोजाबाद भी एक्सप्रेसवे से लगे हैं। जिसके चलते यहां भी हादसों की संख्या अधिक है। इसी तरह्र मैनपुरी राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे होने के चलते वहां भी बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना होती हैं।
'जीरो फैटेलिटी डिस्ट्रिक्ट' अभियान के तहत आगरा में पांच सबसे संवेदनशील क्षेत्रों को क्रिटिकल कारीडोर के रूप में चिन्हित किया है।
इसमें सिटी जोन में रामबाग से एत्मादपुर के एनएच-19, फाउंड्री नगर से खंदौली एनएच-509, सैंया से ककुआ तथा रायभा से रैपुरा जाट एनएच-44, बरहन के जमाल नगर भैंस से राम बाग व फतेहपुर सीकरी एनएच-21 बसई चौकी से बाह के कचौरा घाट तक एनएन-62 क्षेत्र को किया गया है।
कमिश्नरेट में सर्वाधिक हादसों वाले 16 स्थानों को चिन्हित करके ग्रीन कारीडोर बनाया गया है।
हादसों में मृत्यु को शून्य करने की ये है तैयारी
डीसीपी यातायात सोनम कुमार ने बताया कि चिन्हित क्रिटिकल कारीडोर टीमों का गठन किया गया है।
प्रत्येक टीम में एक उप निरीखक व चार मुख्य आरक्षी होंगे। इन टीमों को विशेष रूप से सड़क दुर्घटनाओं के मामलों की जांच करने और मृत्यु को रोकने के उपाय सुझाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
टीमें केवल जांच तक सीमित नहीं रहेंगी, उन्हें सुरक्षा जागरूकता और यातायात नियमों के पालन को सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देना होगा।
सीसी टीम की जिम्मेदारी
- दुर्घटना के मामलों की तुरंत और विस्तृत जांच करेंगी।
- दुर्घटना के कारणों (जैसे खराब रोड इंजीनियरिंग, ब्लैक स्पाट या यातायात नियमों का उल्लंघन की पहचान करेंगी।
- स्थानीय लोगों और इंजीनियरिंग विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर सुधारात्मक कदम उठाएंगी।
आरटीओ की तैयारी
उप परिवहन आयुक्त विदिशा सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा कई स्तर पर काम किया जा रहा है, जिनमें प्रमुख हैं
- ओवरलोडिंग सवारियों और माल ढोने वाले वाहनों के विरुद्ध अभियान चला कार्रवाई की जा रही है।
- हादसों का बड़ा कारण अनफिट वाहन भी हैं, ऐसे वाहनों पर निरंतर कार्यवाही की जा रही है।
- सर्वाधिक हादसों वाले चिन्हित जिलों में विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा मित्र बनाए जा रहे हैं।यह स्वयंसेवक सामाजिक कार्यकर्ता होंगे।

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