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    Baba Vijay Das: ब्रज से रहा है बाबा विजयदास का गहरा नाता, बरसाना में हुआ अंतिम संस्कार

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 23 Jul 2022 07:53 PM (IST)

    Baba Vijay Das राजस्थान में अवैध खनन के खिलाफ संत बाबा विजय दास ने आत्मदाह किया। वर्ष 2002 में विजय बाबा ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा के सानिध्य में आए थे। 19 साल बरसाना में रहे थे विजय दास।

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    संत बाबा विजय दास का फाइल फोटो।

    आगरा, जागरण टीम। बाबा विजय दास का ब्रज भी गहरा नाता रहा है। 19 वर्ष तक राधारानी के धाम बरसाना में रहे। शनिवार को दिल्ली में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। देर शाम उनका पार्थिव शरीर माताजी गोशाला लाया गया। यहां नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी गई।

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    अंतिम संस्कार के समय डीएम नवनीत सिंह चहल, एसएसपी अभिषेक यादव के अलावा भरतपुर राजस्थान के भी अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला और भाजपा सांसद रंजीता कोली भी मौजूद रहीं। उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण भी मौजूद रहे। अंतिम संस्कार के दौरान माताजी गोशाला में राजस्थान व बरसाना क्षेत्र के हजारों ग्रामीण मौजूद रहे। हर किसी के आंखें नम थीं। मान मंदिर के सचिव सुनील सिंह ने विधि-विधान से विजय दास का अंतिम संस्कार किया।

    मंत्रियों के खिलाफ नारेबाजी

    अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद राजस्थान सरकार के दोनों मंत्रियों के खिलाफ ग्रामीणों ने नारेबाजी की। ग्रामीणों का कहना था कि यदि सरकार समय रहते खनन रोक लेती, तो बाबा को अपनी जान नहीं देनी पड़ती।

    19 साल बरसाना में रहे विजय दास

    बाबा विजय दास हरियाणा के भिवानी जनपद में स्थित बढ़ाला गांव के रहने वाले थे। वर्ष 2002 में विजय बाबा ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा के सानिध्य में आए थे। तभी से अपना घर-परिवार छोड़कर मान मंदिर पर रहने लगे। बेटे व पत्नी की मौत के बाद विजय दास अपनी पौत्री दुर्गा को भी मान मंदिर ले आए थे। कई वर्षों से राजस्थान के ब्रज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन चल रहा था। 16 जनवरी 2021 को मान मंदिर के संतों के साथ उन्होंने राजस्थान सरकार के खिलाफ अनशन भी किया था। इसके चलते राजस्थान की कामा तहसील के पसोपा गांव के ग्रामीणों ने उन्हें पशुपतिनाथ मंदिर का महंत घोषित कर दिया था। तभी से विजय बाबा पसोपा गांव में रह रहे थे।