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    New Year Celebration 2021: इस विशेष मंत्र से करें नववर्ष का स्वागत, सेहत के साथ मिलेगा सुंदरता का भी वरदान

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Thu, 31 Dec 2020 04:27 PM (IST)

    New Year Celebration 2021 नववर्ष की भोर में सूर्य उपासना करने से विशेष ऊर्जा का संचार होता है। सूर्य प्राण शक्ति देने वाले देवता हैं। हिन्दू धर्म के पंचदेवों सूर्य शिव शक्ति श्री गणेश विष्णु में सूर्य ही ऐसे देवता माने जाते हैं।

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    नववर्ष की भोर में सूर्य उपासना करने से विशेष ऊर्जा का संचार होता है।

    आगरा, जागरण संवाददाता। 2020...आज अंतिम दिन। यह वर्ष शायद पीढ़ियों तक को याद रहेगा। इस वर्ष वो सब हुआ जो दशकों तक से नहीं हुआ था। यह वर्ष लेकर आया अपने संग कोरोना वायरस संक्रमण महामारी। शायद इसे सदी की सबसे बड़ी महामारी कहना गलत न होगा। एेसी महामारी जिसने पूरे विश्व को रोक दिया। वैश्विक स्तर पर लोगों को घरों में कैद कर दिया। आज उसी वर्ष का अंतिम दिन है। कल नया सवेरा होगा। 2021 नव दिवस के साथ नव आशा की किरणें लेकर आयेगा। पूरा वर्ष सुखद रहे। सभी सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें इसके लिए क्यों न नववर्ष का स्वागत सनातन धर्म के तरीके से करें। इस बाबत धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी का कहना है कि नववर्ष की एक जनवरी एक माह से दूसरे माह में जाने भर का प्रवेश मात्र नहीं है। यह यह तिथि संग अपने लेकर आती है नई उम्‍मीदें, नई उमंगें। 2021 की एक जनवरी भी अपने साथ नई आशाओं का सवेरा लेकर आएगी। 

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    सूर्य मंत्र से करें नये साल का स्वागत

    पंडित वैभव जोशी के अनुसार सूर्य प्राण शक्ति देने वाले देवता हैं। हिन्दू धर्म के पंचदेवों सूर्य, शिव, शक्ति, श्री गणेश, विष्णु में सूर्य ही ऐसे देवता माने जाते हैं, जो हर दिन हर प्राणी और प्रकृति जगत की क्रियाओं और कार्य के साक्षी हैं। धार्मिक मान्यताओं में सूर्य बल, यश, निरोगी जीवन के साथ सौंदर्य देने वाले देवता भी हैं। इस कारण शक्ति और स्वास्थ्य के लिए हर रोज भी सूर्य उपासना का महत्व बताया गया है। इस तरह जीवन में वास्तविक सुंदरता यानी चेहरे के साथ सुंदर मन पाने के लिए भी सूर्य उपासना शुभ मानी गई है, क्योंकि निरोगी तन, मन ही आत्मविश्वास बढ़ाकर कामयाबी तय करता है। नववर्ष की भोर में सूर्य उपासना करने से विशेष ऊर्जा का संचार होता है।

    सूर्य उपासना का मंत्र है-

    ॐ जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम।

    तमो रि सर्वपषपघ्नं सूर्यमषवषह्याम्यहम।

    ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।।

    ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य श्रीं ओम्।

    ॐ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्न सूर्य: प्रचोदयात्।