Braj Yatra: 84 कोस की परिक्रमा देगी चार धाम यात्रा का पुण्य, यहां पढ़ें ब्रज यात्रा का महत्व और रूट
Braj Yatra अब चार माह तक ब्रज में वास में देवी-देवता। दूर-दूर से ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा को पहुंचने लगे श्रद्धालु। चातुर्मास 10 जुलाई से चार नवंबर तक रहेगा। श्रीकृष्ण ने सभी देवी-देवताओं को ब्रज में बुलाया था।

आगरा, जागरण संवाददाता। ब्रज के लिए यूं नहीं कहा जाता कि मुक्ति कहे गोपाल सूं मेरी मुक्ति बताए, ब्रज रज उड़ मस्तक लगे, मुक्ति मुक्त हो जाए। ब्रज की महिमा ही निराली है। नटवर नागर यहां के कण-कण में समाए हैं, तो चातुर्मास में सभी देवी-देवता ब्रज 84 कोस में वास करते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में दुनिया भर के श्रद्धालु ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा कर निहाल होते हैं। चातुर्मास 10 जुलाई से देवोत्थान एकादशी चार नवंबर तक रहेगा।चातुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं, लेकिन धार्मिक आयोजनों की धूम होगी। सावन, भादों, क्वार, कार्तिक में आस्था की अविरलधारा बहेगी। सावन में मंदिरों में सोने-चांदी के हिंडोले और घटाएं सजेंगी। मथुरा, गोवर्धन, बरसाना, गोकुल, बलदेव में भी श्रद्धा झूमती है। मुड़िया मेले में लाखों श्रद्धालु गोवर्धन की परिक्रमा लगाते हैं। दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान के निदेशक कामेश्वरनाथ का कहना है कि चातुर्मास 10 जुलाई से चार नवंबर तक रहेगा। 84 कोस की परिक्रमा से सभी तीर्थों का पुण्य मिलता है। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के संस्थापक अमित भारद्वाज बताते हैं कि चातुर्मास में सभी देवी, देवता, तीर्थ ब्रज में विराजमान रहते हैं।
चारों धाम ब्रज में
भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते थे। वह बुजुर्ग थे, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने सभी देवी-देवताओं को ब्रज में बुलाया। तभी से सभी देवी-देवता चातुर्मास में ब्रज में वास करते हैं।
यहां होकर गुजरती है ब्रज 84 कोस यात्रा
मधुवन, तालवन, बहुलावन, शांतनु कुंड, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, जतीपुरा, डीग, कामवन, बरसाना, नंदगांव, कोकिलायन, जाप, कोटवन, पैगांव, शेरगढ़, चीरभाट, बड़गांव, वृंदावन, लोहवन, गोकुल, मथुरा।
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