Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रवीना टंडन के पिता और निर्देशक रवि टंडन का आगरा से था गहरा नाता, स्‍मृतियां रह गयीं अब शेष

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 12 Feb 2022 08:26 AM (IST)

    फिल्‍म निर्देशक रवि टंडन मूल रूप से आगरा के माईथान में रहने वाले थे। कई साल पहले चले गए थे मुंबई। वहीं हुआ था रवीना टंडन का जन्‍म।फिल्म निर्देशक से जुड़ी हैं शहरवासियों की कई यादें। वर्ष 2016 में लीडर्स आगरा ने किया था सम्मानित।

    Hero Image
    आगरा में आयोजित एक सम्‍मान समारोह मेंं विचार व्‍यक्‍त करते फिल्‍म निर्देशक रवि टंडन।

    आगरा, जागरण संवाददाता। फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन के पिता रवि टंडन का निधन शुक्रवार सुबह हो गया। उनका जन्म आगरा में पंजाबी परिवार में हुआ था। बाद में वह मुंबई चले गए थे और वहां फिल्म निर्देशक के रूप में अपना करियर बनाया। शहरवासियों की उनसे कई यादें जुड़ी हुई हैं। वर्ष 2015 में आगरा में एमडी जैन इंटर कालेज में आयोजित समारोह में उन्हें प्राइड आफ आगरा अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रवि टंडन का जन्म आगरा के माईथान में वर्ष 1935 में हुआ था। मुंबई में फिल्म निर्देशक के रूप में पहचान बनाने के बाद उनका आगरा आना-जाना लगा रहा। रवि टंडन के चचेरे भाई रज्जू टंडन (हाल निवासी बेंगलुरू) ने बताया कि वह तीन भाई व एक बहन थे। रवि भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके पिता अमरनाथ टंडन जिला जज थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा माईथान स्थित चुंगी स्कूल में हुई और आगरा कालेज से उन्होंने बीएससी की। उनका फिल्मों की अोर रुझान था। वह बहुत खुद्दार थे और अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने मुकाम हासिल किया। मुंबई में सेटल होने के बाद भी उनका आगरा से लगाव कम नहीं हुआ था। पारिवारिक कार्यक्रमों में उनका निरंतर आना-जाना रहा। रवीना का जन्म भले ही मुंबई में हुआ, लेकिन वह अपने पिता के साथ कई बार यहां आई हैं। माईथान का पारिवारिक मकान अब बिक चुका है।

    पुराने मित्रों से मिलकर रो पड़े थे

    सामाजिक संस्था लीडर्स आगरा के महासचिव सुनील जैन ने बताया कि वर्ष 2015 में संस्था ने एमडी जैन इंटर कालेज में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया था। तत्कालीन डीएम पंकज यादव के हाथों उन्हें सम्मानित कराया गया था। तब भावुक होकर उन्होंने कहा था कि करीब 25 वर्ष बाद अपने घर आया हूं। मुझे बड़े-बड़े अवार्ड मिले हैं, लेकिन अपने शहर में सम्मानित होकर गर्व की अनुभूति हो रही है। तब वह एक दिन के लिए ही आगरा आए थे, लेकिन पुराने मित्रों से मुलाकात होने पर फूट-फूटकर रोने लगे थे। वह दो दिन यहां रुके थे। तब रवीना टंडन ने विशेष रूप से आभार जताया था। साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि उनके परिवार के उनसे पारिवारिक संबंध रहे हैं। उनके पिता का नाम भी रवि टंडन था। जब वह छोटे थे, तब रवि टंडन उनके माईथान स्थित घर पर आया करते थे।

    अवार्ड मिलने पर भावुक हो गए थे टंडन

    इन्क्रेडिबल इंडिया फाउंउेशन ने वर्ष 2020 में फिल्म निर्माता व निर्देशक रवि टंडन को ब्रज रत्न अवार्ड प्रदान किया था। आमंत्रित किए जाने पर आगरा की पुरानी यादें ताजा होने से वह भावुक हो गए थे। अस्वस्थ होने की वजह से वह कार्यक्रम में नहीं आ सके थे। उनके छोटे भाई रज्जू टंडन ने यह अवार्ड ग्रहण किया था। फाउंडेशन के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि रवि टंडन अपनी जमीं पर स्वयं को सम्मानित होने की बात सुनकर भावुक हो उठे थे। उन्होंने कहा था कि इसको मैं बेहद फख्र की बात मानता हूं। मेरा बचपन जिस शहर में बीता उसी शहर में सम्मान समारोह में स्वयं शिरकत करने की इच्छा थी, मगर स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हो पा रहा हूं। इसका मुझे बेहद अफसोस है। मुंबई ने मुझे बेशक खास पहचान बालीवुड में दी है, लेकिन इसके सपने मैंने आगरा की सरजमीं पर ही देखे थे। फाउंडेशन के महासचिव अजय शर्मा, ब्रजेश शर्मा ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह ब्रज के गौरव थे। उनका निधन शहर के लिए बड़ी क्षति है।

    फिल्म सिटी की घोषणा पर हुए थे खुश

    वर्ष 2020 में उप्र सरकार ने फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की थी। तब रवि टंडन ने कहा था कि यदि उप्र में पहले ही फिल्म सिटी बन जाती तो उन्हें मुंबई आकर लंबे समय तक संघर्ष नहीं करना पड़ता। अब उप्र के लोगों को फिल्मों में काम करने का मौका मिलेगा, जिसमें प्रतिभा होगी वह बहुत आगे तक बढ़ेंगे।

    वर्ष 1958 में चले गए थे मुंबई

    वर्ष 1958 में वह मुंबई चले गए थे। वर्ष 1960 में रिलीज हुई फिल्म लव इन शिमला में उन्होंने अभिनय किया था। फिल्म अनहोनी की कहानी लिखी तो यह रास्ते हैं प्यार के और लव इन शिमला में सह-निर्देशक रहे। निर्माता के रूप में उन्होंने फिल्में एक मैं और एक तू, अपने रंग हजार और अनहोनी बनाईं। अनहोनी, मजबूर, निर्माण, अपने रंग हजार, खेल खेल में, जिंदगी, मुकद्दर, चोर हो तो ऐसा, वक्त की दीवार, झूठा कहीं का, खुद्दार, आन और शान, राही बदल गए, जवाब, नजराना, एक मैं और एक तू फिल्मों का उन्होंने निर्देशन किया।

    comedy show banner
    comedy show banner