औरंगजेब विवाद के बीच राणा सांगा की एंट्री... तन पर 80 घाव, एक आंख और एक हाथ बिना लड़े थे सांगा; क्या कहते हैं इतिहासकार
राणा सांगा मेवाड़ के एक महान शासक थे जिन्होंने बाबर के खिलाफ कई युद्ध लड़े। उन्होंने 1527 में खानवा के युद्ध में बाबर को बुरी तरह हराया था। राणा सांगा ने अपने जीवनकाल में 100 से अधिक लड़ाइयां लड़ी थीं और किसी भी अन्य युद्ध में उनकी हार नहीं हुई थी। वह एक महान योद्धा और एक कुशल राजनीतिज्ञ थे।

जागरण संवाददाता, आगरा। सपा के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने शनिवार को राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने सांगा द्वारा बाबर को इब्राहिम लोदी पर हमले के लिए बुलाने की बात कही। विवादित बयान से सुमन तो घिर ही गए हैं, उनके बयान पर बहस भी छिड़ गई है। राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को कई बार हराया था।
वर्ष 1527 में भरतपुर की रूपवास तहसील के खानवा में बाबर के विरुद्ध युद्ध लड़ा था, जिसमें तीर लगने पर वह घायल हो गए थे। इससे पूर्व बयाना के युद्ध में उन्होंने बाबर को बुरी तरह हराया था। कर्नल जेम्स टाड ने उन्हें हिंदूपत की उपाधि देने के साथ ही उनके शरीर पर घावों क वजह से सैनिक का भग्नावशेष कहा था।
राणा सांगा वर्ष 1508 में मेवाड़ के शासक बने थे। उन्होंने अपने जीवन काल में 100 से अधिक लड़ाइयां लड़ी थीं। खानवा के अलावा किसी अन्य युद्ध में उनकी हार नहीं हुई। उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे। उनकी एक आंख, एक हाथ नहीं था। एक पैर काम नहीं करता था।
राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराया
कर्नल जेम्स टाड के अनुसार उनके राज्य मेवाड़ की सीमा पूरब में आगरा, दक्षिण में गुजरात की सीमा तक थी। दिल्ली, मालवा, गुजरात के सुल्तानों के साथ उन्होंने 18 युद्ध लड़े और सभी में विजयी रहे। राणा सांगा ने 1517 में खतोली और 1518-19 में धौलपुर में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया था।
निजाम की सेना को हराया
मालवा के शासक महमूद खिलजी द्वितीय को 1517 और 1519 में ईडर व गागरोन में हुई लड़ाइयों में हराकर दो माह तक बंधक बनाकर रखा। वर्ष 1520 में ईडर के निजाम खान की सेना को हराया। पंजाब और सिंध पर जीत के बाद बाबर ने अप्रैल, 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर उसकी हत्या कर दी।
बाबरनामा में है जिक्र
राणा सांगा और बाबर का पहली बार आमना-सामना 21 फरवरी, 1527 को बयाना में हुआ। इसमें बाबर की बुरी हार हुई। हारकर वह आगरा लौट आया। अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' में बाबर ने स्वयं इस युद्ध का वर्णन किया है। बयाना की हार के बाद बाबर ने इस्लाम के नाम पर अपने सैनिकों को एक किया और शराब नहीं पीने की कसम खाई।
राणा सांगा एक तीर लगने से बेहोश हो गए
खानवा के मैदान में 16 मार्च, 1527 को राणा सांगा और बाबर की सेनाओं का फिर आमना-सामना हुआ। इस युद्ध में बाबर तोप और बंदूकों से लड़ा, जबकि राजपूत तलवारों से। राणा सांगा एक तीर लगने से बेहोश हो गए, जिससे उनकी सेना हतोत्साहित हो गई। युद्ध में बाबर की जीत हुई। जनवरी, 1528 में राणा सांगा की मृत्यु जहर दिए जाने की वजह से हो गई।
दौलत खान और आलम खान ने बाबर को बुलाया था
इतिहासकारों का मानना है कि पंजाब का गर्वनर दौलत खान और इब्राहिम लोदी का चाचा आलम खान दिल्ली की गद्दी कब्जाना चाहते थे। उन्होंने बाबर को भारत आने का न्योता दिया। इतिहासकार राणा सांगा द्वारा बाबर को बुलाए जाने से इन्कार करते हैं। वह उस समय सबसे शक्तिशाली शासक थे। राजपूताना के शासकों को मिलाकर उन्होंने एक गठबंधन बना लिया था। डा. मोहनलाल गुप्ता ने राष्ट्रीय राजनीति में मेवाड़ का प्रभाव पुस्तक में राणा सांगा द्वारा बाबर को बुुलाए जाने से इन्कार किया है।
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