स्वदेशी का उपदेश देने के बजाय स्वयं स्वदेशी अपनाएं, भाजपा नेताओं पर सपा सांसद सुमन ने कसा तंज
सपा नेता रामजीलाल सुमन ने भाजपा पर स्वदेशी अपनाने के दिखावे का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को पहले स्वयं स्वदेशी अपनानी चाहिए। सुमन ने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का उपदेश देने से पहले राजशाही ठाठ-बाट त्यागना होगा। विदेशी वस्तुओं का आयात बढ़ रहा है और कुटीर उद्योग दम तोड़ रहे हैं।

जागरण संवाददाता, आगरा। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने भाजपा द्वारा निरंतर स्वदेशी का राग अलापने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि स्वदेशी मेला लगाने एवं स्वदेशी का उपदेश देने से बेहतर ये होगा कि सबसे पहले देश और प्रदेश की सरकारें तथा भाजपा के नेता स्वयं अपने आप में स्वदेशी अंगीकार करें। सुमन एचआईजी फ्लैट स्थित घर पर प्रेस वार्ता कर रहे थे।
सुमन ने कहा कि हिंदुस्तान के राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी ने स्वदेशी और स्वावलंबन का नारा दिया था और देश के लोगों ने संकल्प लिया था कि वे स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएंगे। विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई थी।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले जो देश की आजादी की लड़ाई में शरीक थे उन्होंने स्वयं अपने हाथ से निर्मित खादी पहनने का संकल्प लिया था तथा देश में चरखे चलाए जाने लगे थे। आंदोलन के प्रमुख नेता स्वयं चरखे चलाते थे। उनके लिए खादी मात्र एक वस्त्र नहीं था बल्कि विचार था।
सबसे अहम सवाल ये है कि अब जो राजनीति करने वाले लोग हैं वे देशवासियों से तो स्वदेशी अपनाने का आग्रह करते हैं, लेकिन स्वयं अपने जीवन में स्वदेशी का उपयोग नहीं करते। किसी बात का सार्थक असर तब होता है जब लोग हमारे स्वयं के आचरण में वैसा ही देखें जैसा हम आग्रह कर रहे हैं।
सुमन ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को महात्मा गांधी के जीवन से सीख लेनी चाहिए। गांधीजी ने जब इस देश की गरीबी को देखा तो लंगोटी लगा ली थी। वह जब दलित उद्धार की बात करते थे तो दलित बस्तियों में रहते थे। उनका जीवन सादगी और स्वदेशी का अद्भुत उदाहरण है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का बड़ा जोर स्वदेशी अपनाने पर है। आजकल वे स्वदेशी उत्पादों के बड़े प्रवक्ता बने हुए हैं। राजशाही ठाठ-बाट में रहने वाला शख्स स्वदेशी का उपदेश देने से पहले इसकी शुरुआत अपने जीवन से करे तो अच्छा है।
लाखों रुपए का शूट पहनने वाला व्यक्ति, जो दिन में चार-पांच बार लाखों रुपए के कपड़े बदलता हो, जो दुनिया के सबसे महंगे ब्रांड्स जिसमें इटली की बुल्गारी कंपनी का चश्मा, स्विट्जरलैंड की मूवादो कंपनी की घड़ी और जर्मनी की माउंट ब्लैंक कंपनी का पेन प्रयोग करता हो, उसे स्वदेशी का उपदेश देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और न ही ऐसे व्यक्ति की अपील का जनता पर प्रभाव होगा।
हम स्वदेशी की बात तो करते हैं लेकिन सबसे पहले हमें अपने पैरों पर खड़ा होने की दीर्घकालीन योजनाओं का खुलासा करना चाहिए। भारत में लगातार विदेशी वस्तुओं का आयात बढ़ रहा है।
यह कितना हास्यास्पद है कि एक ओर हम देश में स्वदेशी अपनाने का भी आग्रह कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मोदी के कार्यकाल में चीन के सामान की भारत में खपत दोगुनी हुई है। सरकार का यह विरोधाभासी आचरण लोगों के गले नहीं उतर सकता।
सुमन ने कहा कि 8 वर्ष योगी सरकार को और 11 वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल को हो गए हैं, हमारे लघु और कुटीर उद्योगों ने दम तोड़ दिया है, एक दौर वह भी था जब ग्रामीण अंचल में लोग आत्मनिर्भर थे, गांव में काफी हद तक हाथ से कपड़े बनाए जाते थे, जूते बनाने का काम, लकड़ी का काम, लुहार का काम, मिट्टी के बर्तन बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता था। प्रदर्शनी और मेला लगाने के बजाय हमें अपने परंपरागत कुटीर उद्योग-धंधों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है,अन्यथा स्वदेशी का नारा लगाने की कोई सार्थकता नहीं है।
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