Manthara के मंत्र से हुआ था राक्षसों का अंत, प्रहलाद से जुड़ी जन्म की कहानी, रामायण का ऐसा चरित्र जिसने दिलाया श्रीराम को वनवास
मंथरा का चरित्र ऐसी महिला का था जिसे राम को वनवास दिलाने की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जिम्मेदार माना था। लेकिन पृथ्वी पर मंथरा का जन्म जिस उद्देश्य से हुआ था वह बहुत ही गहरा था। धरती से राक्षसों का संहार करने में मंथरा की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

आगरा, जागरण टीम। जो मंथरा रामायणकाल में राम को वनवास देने के लिए उत्तरदाई थी, वास्तव में मंथरा कौन थी। वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि लोमस ऋषि के अनुसार मंथरा भक्त प्रहलाद के पुत्र विरोचन की पुत्री थी।
जब एक बार विरोभक्तचन और देवताओं के बीच में युद्ध हुआ था तो विरोचन ने देवताओं पर विजय प्राप्त की थी। लेकिन कुछ ही समय बाद देवताओं ने एक षड्यंत्र रचा और ब्राह्मण स्वरूप धरकर विरोचन से भिक्षा में उसकी आयु ही मांग ली इस प्रकार विरोचन की मृत्यु के बाद सभी दैत्य यहां-वहां भाग रहे थे और उनका कोई सरदार भी नहीं था।
इंद्र के बज्र के प्रहार से पृथ्वी पर हुई मौत
वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि ऐसे समय में मंथरा ने दैत्यों का नेतृत्व किया और देवताओं पर फिर से विजय प्राप्त की। देवता भी दैत्यों के डर से इधर-उधर भागने लगे और भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तब भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र को मंथरा पर आक्रमण की आज्ञा दी तो देवराज इंद्र के बज्र के प्रहार से मंथरा पृथ्वी पर जाकर गिरी और उसकी मृत्यु हो गई।
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रमोद गौतम
प्रहलाद के पुत्र विरोचन की पुत्री थी मंथरा
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इंद्र के बज्र के प्रहार से भक्त प्रहलाद के पुत्र विरोचन की पुत्री मंथरा की मृत्यु तो हो गई, लेकिन मंथरा ने भगवान विष्णु से बदला लेने की ठान ली क्योंकि वह सोचती रही कि उसका जो हाल हुआ है जिसके कारण उसके अपनों ने भी उसे त्याग दिया इसके लिए उत्तरदाई केवल भगवान विष्णु ही है, और वह भगवान विष्णु से बदला लेने के बारे में सोचती रही।
बदले की भावना से उसने त्रेता युग में रामायण काल में भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए फिर से पुनर्जन्म लिया और भगवान राम के जीवन को तहस-नहस कर दिया। लोमश ऋषि के द्वारा बताया जाता है कि जो कुबड़ी मंथरा थी वह श्रीकृष्ण के द्वापर युग में कुब्जा के नाम से ही जानी जाती थी।
पृथ्वीलोक पर इसलिए आई मंथरा
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि गंधर्वी का अवतार थी मंथरा। पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया गया है कि जब पृथ्वी लोक पर अनाचार, अधर्म, अनीति का सम्राट फैला हुआ था तथा चारों तरफ राक्षसों के घोर अत्याचार के कारण ऋषि-मुनियों और आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया था। उस समय सभी देवी देवता ब्रह्मा के पास पहुंचे और उन्होंने इस स्थिति के बारे में ब्रह्मा को अवगत कराया।
तब ब्रह्मा ने कहा कि तुम सभी देवी देवता जाकर पृथ्वी पर वानर भालू आदि का रूप धारण करो और भगवान विष्णु श्रीराम रूप में जन्म लेंगे। इसलिए जाकर राक्षसों के संहार में आप सभी उनकी सहायता करो। ऐसा सुनकर देवताओं ने गंधर्वी से प्रार्थना की कि तुम धरती लोक पर जाकर मंथरा के रूप में जन्म लो और भगवान श्री राम को 14 वर्ष वनवास दिलवाने में अपनी भूमिका अदा करो। जिससे पृथ्वी पर राक्षसों का संहार हो सके। इस प्रकार मंथरा एक गंधर्व कन्या थी और जिसकी मुख्य भूमिका श्रीराम को वनवास दिलवाना तथा उनके द्वारा राक्षसों का संहार करवाना था।
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