UP Board 100 Years: लोगो व शताब्दी गीत प्रतियोगिता में आगरा की रजनी और दिव्या रहीं प्रथम
UP Board 100 Years स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर यूपी बोर्ड करा रहा लोगो व शताब्दी गीत प्रतियोगिता। जिले से चयनित प्रतिभागी मंडलीय प्रतियोगिता में करेंगे प्रतिभाग। यूपी बोर्ड इस वर्ष अपनी स्थापना के 100 साल मना रहा है जिसके लिए साल भर विभिन्न आयोजन किए जाने हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के 100 साल होने पर बोर्ड ही नहीं विद्यार्थी भी बेहद उत्साहित हैं। बोर्ड द्वारा इस मौके पर आयोजित शताब्दी गीत और प्रतीकात्मक लोगो प्रतियोगिता में जिले के दर्जनों विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया, जिनमें से चयनित प्रथम तीन नाम मंडलीय प्रतियोगिता के लिए भेजे गए, इनमें रजनी और दिव्या प्रथम रही हैं।
यूपी बोर्ड इस वर्ष अपनी स्थापना के 100 साल मना रहा है, जिसके लिए साल भर विभिन्न आयोजन किए जाने हैं। इसी के अंतर्गत बोर्ड ने प्रतीकात्मक लोगो व शताब्दी गीत प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इसमें जिले के दर्जनों विद्यालय के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। जिला विद्यालय निरीक्षक रवींद्र सिंह ने बताया कि जिले के विद्यालयों से दोनों प्रतियोगिताओं के लिए 80 से ज्यादा विद्यार्थियों ने लोगो व शताब्दी गीत लिखकर भेजे। उन्हें शार्ट लिस्ट कर चयनित तीन एंट्री को मंडलीय स्तर पर होने वाले प्रतियोगिता के लिए भेजा गया है, अब जिनमें से मंडल स्तर पर तीन विजेताओं का चुनाव कर प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा।
इनका हुआ चयन
प्रतीकात्मक लोगो प्रतियोगिता में जिले के राजकीय हाईस्कूल, बल्हैरा की कुमारी रजनी प्रथम, राजकीय हाईस्कूल कौलाराकलां के श्रीकृष्ण द्वितीय और बौहरे सालिगराम शर्मा इंटर कालेज की दिव्या शर्मा तृतीय रहीं।
वहीं शताब्दी गीत प्रतियोगिता में श्रीमती सिंगारी-बाई कन्या इंटर कालेज बालूगंज की दिव्या कुलश्रेष्ठ प्रथम, पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय माध्यमिक इंटर कालेज सैमरा के डा. गोपाल दास शर्मा को द्वितीय व दामोदर इंटर कालेज होलीपुरा के शिवम कुमार यादव की एंट्री को जिले में तृतीय स्थान मिला।
यह है चयनित गीत की कुछ पंक्तियां
पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय माध्यमिक इंटर कालेज सैमरा के डा. गोपाल दास शर्मा ने भी इस प्रतियोगिता के लिए गीत लिखा, जिसे मंडलीय प्रतियोगिता के लिए भेजा गया है। जो इस प्रकार है
स्वर्णिम अतीत की अभिनव झांकी आज दिखाएं आपको,
गौरवान्वित हो रहे सही हैं याद कर रहे उस दौर को
ब्रिटिश हुकूमत की सत्ता में पराधीन जब भारत था
शिक्षा फंसी हुई चंगुल में, जन समाज तब आकुल था।
पारित हुआ इंटर शिक्षा अधिनियम सन 1921 का वर्ष था
शिक्षा अंगडाइयां लेती तब उसका नव परिवर्तन उत्कर्ष था...।

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