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    दिमाग को पढ़ने का ज्ञान ही है 'मनोविज्ञान'

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 19 May 2018 03:15 PM (IST)

    आगरा: हर पल इंसान का मूड बदलता है। मन में अथाह तह होती हैं। ऐसे मनोविज्ञान ऐसा विषय है जो मन की तहों को पढ़ने में सहायता देताहै। आधुनिक जीवन शैली में ...और पढ़ें

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    दिमाग को पढ़ने का ज्ञान ही है 'मनोविज्ञान'

    जागरण संवाददाता, आगरा: हर पल इंसान का मूड बदलता है। मन में अथाह तह होती हैं। किस पल कोई क्या सोच ले और व्यवहार में क्या परिवर्तन आ जाए। दूसरे के दिमाग की किताबों को पढ़ने का ज्ञान देता है मनोविज्ञान। 12 वीं के बाद इस विषय में करियर की बेहतरीन संभावनाएं हैं। आधुनिक जीवनशैली में तेजी से बदलाव हो रहा है। ऐसे में अधिकांश लोगों को मानसिक समस्याएं भी घेर रही हैं। बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. शिवानी मिश्रा के अनुसार मनोविज्ञान विषय में करियर बनाने की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। साइकोलॉजी ट्रीटमेंट, बिना दवाइयों का सेवन किए और सोच में परिवर्तन लाने पर आधारित होता है। इस विषय में कई करियर विकल्प मौजूद हैं। कोर्स

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    - बीए- बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी (तीन वर्ष)

    - एमए- एमएससी इन साइकोलॉजी (दो वर्ष)

    - पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजी (दो वर्ष) ऐसे मिलेगा प्रवेश

    बीए या बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी में एडमिशन के लिए 50 फीसद अंकों के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसके अलावा आप पीजी या डिप्लोमा भी कर सकते हैं, जिसके लिए 55 फीसद अंकों के साथ साइकोलॉजी विषय में ग्रेजुएट डिग्री जरूरी है। एमफिल या पीएचडी करने के लिए 55 फीसद अंकों के साथ साइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट होना जरूरी है। नहीं है रोजगार की कमी

    इस क्षेत्र में रोजगार की कमी नहीं है। साइकोलॉजिस्ट्स सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, यूनिवर्सिटी, स्कूलों, सरकारी एजेंसियों, प्राइवेट इंडस्ट्रीज, रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, कॉर्पोरेट हाउस आदि में रोजगार मिल सकता हैं। साइकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन के अलावा कई नए क्षेत्र सामने आए हैं। कंज्यूमर साइकोलॉजी

    बाजार में कोई भी नया उत्पाद उतारने से पहले कंज्यूमर सर्वे कराती हैं और उपभोक्ताओं की पसंद- नापसंद आदि को परखने का प्रयास इन्हीं विशषज्ञों के विश्लेषण के आधार पर करने का प्रयास करती हैं। सोशल साइकोलॉजी

    इसमें सामाजिक तनावों को दूर करने के अलावा ये अपराधियों तथा नशा करने वालों को नशे से मुक्त करना शामिल है। इनकी सेवाओं का सरकारी समाज कल्याण विभागों, एनजीओ और कई समाज सुधार के कायरें से जुड़ी एजेंसियों द्वारा लिया जाता है। पारिवारिक झगड़ों, वैवाहिक मामलों तथा अन्य समस्याओं को निपटाने में भी इनकी अहम भूमिका होती है। इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी

    कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया में साइकोलॉजिस्ट की भूमिका आम तौर से देखी जा सकती है। इनका कार्य इंटरव्यू में आए आवेदकों के व्यवहार, व्यक्तित्व और प्रजेंटेशन का आकलन करना होता है। धैर्यशील होना जरूरी

    सफल मनोवैज्ञानिक बनने के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स, धैर्यशील और सभी उम्र के लोगों के साथ काम करने की कला होनी चाहिए।