सावधान! AC चलाते वक्त ये बरतें सावधानी, हो सकता है बड़ा हादसा; विशेषज्ञों ने दिए ये टिप्स
आगरा में गर्मी बढ़ने से एसी के इस्तेमाल से आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ एसी को सही तापमान पर चलाने और नियमित सर्विसिंग कराने की सलाह देते हैं। एसी को 24 डिग्री सेल्सियस पर चलाएं और बाहरी यूनिट को धूप से बचाएं। शॉर्ट सर्किट और गैस रिसाव से बचने के लिए एसी की नियमित जांच कराएं।

जागरण संवाददाता, आगरा। इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है, राहत पाने के लिए लोग घर, दुकान, आफिस, होटल में एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। शहर में ऐसी के कारण कई जगह आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। एसी से हुईं घटनाओं का कारण इसका ठीक से इस्तेमाल न करना भी होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एसी 40 डिग्री तापमान तक सामान्य तरीके से काम करता है। तापमान बढ़ता है तो एसी पर भी दबाव बढ़ जाता है, फिर चाहे वह विंडो हो या स्प्लिट। 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर ही हादसों की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए जरूरी है कि एसी चलाते वक्त जरूरी सावधानी बरतें, जिससे एसी में ब्लास्ट होने के साथ ही आगजनी की घटनाओं को रोका जा सके।
केस-1
दो सप्ताह पहले फतेहाबाद रोड स्थित एक सोसायटी में 11वीं मंजिल पर एसी में शार्टसर्किट होने से आग लगी गई। आसपास के लोगों ने समय रहते हुए आग को बुझा लिया। इससे हादसा होने से बच गया।
केस-2
एक सप्ताह पहले केके नगर में छत पर रही आउट डोर यूनिट में तेज धमाके के साथ अचानक आग लग गई। छत खुली हुई थी, आसपास कोई ज्वलनशील सामान नहीं था, इसलिए बड़ा हादसा होने से बच गया।
ये सावधानी बरतें
- 600 घंटे चलाने के बाद एसी की सर्विस अधिकृत सर्विस सेंटर से कराएं।
- एसी को आइडियल टेम्प्रेचर 24 डिग्री सेल्सियस पर ही चलाएं।
- 45 डिग्री से अधिक बाहर का तापमान होने पर पांच-पांच घंटे पर कुछ देर के लिए बंद करें।
- स्प्लिट एसी का आउटर छत या बाहर धूप में रखा है तो उस पर शेड लगवाएं।
- टर्बो मोड पर एसी को ज्यादा समय तक न चलाएं, इससे वह गर्म जल्दी होता है।
- बिना स्टेबलाइजर के एसी न चलाएं, वोल्टेज कम-ज्यादा होने से शार्टसर्किट हो सकता है।
- गैस रिसाव या अन्य खामी आने पर तत्काल उसकी मरम्मत कराएं।
एसी को 24 डिग्री तापमान पर चलाएं, इससे कंप्रेशर कम गर्म होता है। साथ ही आउटडोर यूनिट को भी गर्मी से बचाएं। समय-समय पर एसी की सर्विस कराएं। मरम्मत के समय कंपनी के ही पार्ट्स डलवाएं।
-अजय सक्सेना, प्रोफेसर इलेक्ट्रिक विभाग, दयालबाग यूनिवर्सिटी
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