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    पीएम ने सुन ली पुकार, ललिता को अब इच्‍छा मृत्‍यु नहीं जीवन का मिलेगा उपहार Agra News

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jun 2019 11:02 AM (IST)

    एप्लास्टिक एनीमिया से पीडि़त है ललिता। इलाज के चलते पिता ने बेच दी जमीन घर रख दिया गिरवी। पीएम से इलाज करवाने या फिर इच्छा मृत्यु की मांगी थी अनुमति। ...और पढ़ें

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    पीएम ने सुन ली पुकार, ललिता को अब इच्‍छा मृत्‍यु नहीं जीवन का मिलेगा उपहार Agra News

    आगरा, जागरण संवाददाता। वह गरीब हैं। बीमारी ऐसी, जिसका इलाज कराने में जमीन बिक गई और घर गिरवी रख दिया। अपनी बेटी की खातिर पिता सुमेर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इलाज के पैसे मांगे या फिर बेटी व पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु देने की अनुमति मांगी। प्रधानमंत्री ने सुमेर की गुहार सुन ली। ललिता के इलाज के लिए तीस लाख रुपये मंजूर किए हैं। इलाज सवाई मान सिंह अस्पताल जयपुर में होगा।

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    जिले के दौहरई, कुबेरपुर निवासी सुमेर सिंह की बेटी ललिता सिंह दो साल से बीमार है। ललिता को अप्लास्टिक एनीमिया है। यह गंभीर बीमारी मानी जाती है। इस बीमारी में शरीर में नए ब्लड सेल बनना बंद हो जाते हैं, साथ ही बोन मेरो नष्ट होना शुरू हो जाता है। बेटी के इलाज के लिए सुमेर ने हर प्रयास किया। इलाज में सात लाख रुपये खर्च हो गए। वह ठीक नहीं हुई। इलाज के खातिर सुमेर ने जमीन बेच दी और घर को गिरवी रख दिया। परिजनों ने ललिता को जयपुर स्थित सवाई मान सिंह अस्पताल में दिखाया। जहां के डॉक्टरों ने दस लाख रुपये का खर्च बताया जिसमें बोन मेरो ट्रांसप्लांट किया जाएगा। सुमेर सिंह ने बताया कि बेटी का इलाज कराने या फिर पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु की अनुमति देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। प्रधानमंत्री ने उनकी पुकार सुन ली है। इलाज के लिए तीस लाख रुपये मंजूर किए हैं। जल्द ही वह बेटी को अस्पताल में भर्ती कराएंगे।

    Disclaimer-इससे पहले की प्रकाशित खबर में उत्तर प्रदेश निवासी सुमेर सिंह की बेटी ललिता के इलाज के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से तीस लाख रुपये मिलने का जिक्र किया गया था। यह आंकड़ा न्यूज एजेंसी एएनआई/ANI के हवाले से आया था, जो गलत साबित हुआ, जिसे देखते हुए हम अपनी स्टोरी में संशोधन कर चुके हैं। 25 जून को अखबार में छपी हमारी खबर के मुताबिक, प्रभावित परिवार को अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय से मात्र 3 लाख रुपये ही मिले है, जिसे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर किया गया।  

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