एसएन के गुर्दा रोगियों के लिए नई उम्मीद, किडनी मरीजों के लिए घर पर पेट के रास्ते डायलिसिस
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में गुर्दा रोगियों के लिए पेरिटोनियल डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई है। अब मरीज घर पर ही डायलिसिस कर सकेंगे। राशन कार्ड धारकों और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को 35 हजार की दवा मुफ्त मिलेगी। रोगियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे दिन में तीन बार डायलिसिस कर सकें। कॉलेज में गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा भी जल्द शुरू होगी।

जागरण संवाददाता, आगरा। एसएन मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस कराने आ रहे गुर्दा रोगियों को राहत मिल गई है। एसएन की सुपरस्पेशियलिटी (एसएस) विंग में मरीजाें को खुद ही पेट के रास्ते डायलिसिस (पेरिटोनियल डायलिसिस ) करने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
डायलिसिस के लिए राशन कार्ड धारक, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को असाध्य रोग निधि से हर महीने 35 हजार की दवा की दवा भी निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। गुर्दा रोगियों को एसएस विंग में पेरिटोनियल डायलिसिस का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे घर पर तीन में तीन बार डायलिसिस कर सकें।
गुर्दा रोगी खुद घर पर दिन में तीन बार कर सकते हैं पेरिटोनियल डायलिसिस
एसएन मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अपूर्व जैन ने बताया कि एसएस विंग में मशीन से हर रोज 35 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। गुर्दा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ने से नए मरीजों की डायलिसिस करना संभव नहीं हो पा रहा है। मशीन से डायलिसिस (हीमोडायलिसिस) कराने के लिए मरीजों को सप्ताह में दो बार आना पड़ता है।
इसकी जगह पेरिटोनियल डायलिसिस शुरू की गई है। इसमें पेट में पेरिटोनियल कैविटी में कैथेटर ट्यूब डाल दिया जाता है। इसमें दो प्वाइंट होते हैं एक प्वाइंट से छह घंटे में रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए द्रव्य चढ़ाया जाता है, छह घंटे बाद दूसरे प्वाइंट से अपशिष्ट को बाहर निकाल दिया जाता है। इससे जो काम गुर्दे को करना है वह पेरिटोनियल कैविटी में कर दिया जाता है।
उपलब्ध कराई जा रही 35 हजार की दवा
दिन में तीन बार यह प्रक्रिया करनी होती है। इसे मरीज खुद और तीमारदार की मदद से कर सकते हैं। इसका एक महीने का खर्चा 35 हजार रुपये आता है, राशन कार्ड धारक, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को निश्शुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
एसएन के नेफ्रोलाजी विभाग के डॉ. मुदित खुराना ने बताया कि 52 वर्ष के गुर्दा रोगी पांच वर्ष से अस्पताल में सप्ताह में दो से तीन बार आकर डायलिसिस कराते थे। उन्हें प्रशिक्षण दिया गया अब वे घर पर ही डायलिसिस कर रहे हैं।
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि गुर्दा रोगियों का इलाज एसएस विंग में किया जा रहा है, मरीजों को दिल्ली, लखनऊ, जयपुर जाने की जरूरत नहीं है।
बच्चे और बुजुर्गों के लिए पेरिटोनियल डायलिसिस अच्छा विकल्प
गुर्दा रोगी बच्चों की हीमोडायलिसिस करने में समस्या आती है। वहीं, बजुर्ग मरीजों को डायलिसिस के सप्ताह में दो से तीन बार अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है। इन मरीजों के लिए पेरिटोनियल डायलिसिस अच्छा विकल्प है। उत्तराखंड में पेरिटोनियल डायलिसिस की सुविधा निश्शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, अभी उत्तर प्रदेश में यह सुविधा निश्शुल्क उपलब्ध नहीं है।
एसएस विंग में शुरू होगी गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा
एसएस विंग के नेफ्रोलाजी विभाग में 18 डायलिसिस मशीन लगाई गई हैं। चार नेफ्रोलाजिस्ट हैं, डीएम नेफ्रोलाजी की सीट भी मिल गई है। अब यहां गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा भी शुरू की जाएगी, इसके लिए सर्वे भी हो चुका है।
दिन में तीन बार पेरीटोनियल डायलिसिस
पहली डायलिसिस सुबह आठ से दोपहर दो बजे
दूसरी डायलिसिस दोपहर दो से रात आठ बजे
तीसरी डायलिसिस रात आठ से सुबह आठ बजे
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