उपवास के दिन भोजन के समय को भजन में लगाओ
शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर हरीपर्वत में चल रही है पार्श्वनाथ कथा

आगरा, जागरण संवाददाता। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, हरीपर्वत में चल रही पार्श्वनाथ कथा में शुक्रवार को मुनि प्रणम्य सागर ने कहा कि उपवास का बहुत महत्व है। उपवास के दिन शांति से बैठकर भोजन के समय को भजन में लगाओ। मुनिराज तो जीवन भर उपवास करते हैं, गृहस्थ भी शक्ति अनुसार उपवास अवश्य करें। मन, वचन, काय, प्रमाद व अज्ञान के कारण हुए दोषों का प्रायश्चित करना चाहिए। आगरा दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष जगदीश जैन, महामंत्री सुनील जैन ठेकेदार, राकेश जैन, प्रदीप जैन पीएनसी, पुष्पेंद्र जैन, जितेंद्र जैन, अशोक जैन, निर्मल मोठ्या आदि मौजूद रहे। प्रतिकूलता में अनुकूलता को ढालने वाले होते हैं सफल
आगरा: निर्मल सदन, छीपीटोला में शुक्रवार को मुनि वीर सागर ने धर्मसभा में कहा कि किसी काम को करने के लिए अनुकूलता का इंतजार करना सही पुरुषार्थ नहीं है। व्यक्ति अनुकूलता की प्रतीक्षा करते हैं। संसारी क्षेत्र में भी लोग अनुकूलता का इंतजार करते हैं। प्रतिकूलता में अनुकूलता को ढालने वाले सफल होते हैं।
मुनिश्री ने कहा कि जिनकी आस्था मजबूत होती है, उनके जीवन में प्रतिकूलता भी वरदान साबित होती है। कोरोना काल में एसी व अन्य सुविधाओं में रहने वाले लोग अधिक परेशान रहे। जिन्होंने प्रतिकूलता में पुरुषार्थ किया, उनको परेशानी नहीं हुई। प्रतिकूलता को सहन करोगे तो मन और शरीर मजबूत होगा। अंदर से मजबूत बनोगे। जब-जब प्रतिकूलता जीवन में आए तो घबराना नहीं चाहिए। शनिवार को पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि वीर सागर, मुनि विशाल सागर और मुनि धवल सागर का दीक्षा महोत्सव दोपहर एक बजे मनाया जाएगा। रविवार को भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव मनेगा, जिसमें निर्मल सदन में सम्मेद शिखर की रचना होगी और निर्वाण लाड़ू चढ़ाया जाएगा। सफलता पाने को इच्छाओं पर करें नियंत्रण
आगरा: महावीर भवन, न्यू राजा की मंडी कालोनी में शुक्रवार को आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति कामनाओं से, इच्छाओं से निवृत्त नहीं होता, वो अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर सकता। अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए पूरी लगन और समर्पण भाव से लगना पड़ता है। अध्यात्म, व्यापार और हर क्षेत्र में सफलता पाने का एकमात्र उपाय इच्छाओं पर नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि दुनिया के अधिकांश लोग न्याय मार्ग को, सत्य के मार्ग को, उद्धार के मार्ग को जानते हैं, परंतु उस पर चलते नहीं हैं। हर कोई झूठ से नफरत करता है, पर सत्य बोलना भी नहीं चाहता है। ऐसे व्यक्ति स्वयं अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।

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