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    आगरा में मेयर और नगरायुक्त के बीच तनातनी: आउटसोर्सिंग फर्म पर Mayor का हमला, मांगा हिसाब

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 12:06 PM (IST)

    आगरा की मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह ने आउटसोर्सिंग फर्म मेसर्स अग्रवाल एंड कंपनी के कार्यकाल विस्तार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने नगरायुक्त से जवाब मांगा है कि कैसे बिना ई-निविदा के कार्यकाल बढ़ाया गया। वायरल पत्रों में वित्तीय अनियमितताओं स्वीकृत सीमा से अधिक भुगतान और भर्ती पर भी सवाल उठाए गए हैं। मेयर ने जेम पोर्टल के नियमों का पालन न करने पर भी आपत्ति जताई है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह ने आउटसोसिंग सेवा प्रदाता फर्म मैसर्स अग्रवाल एंड कंपनी को बिना ई-निविदा के कार्यकाल विस्तार पर सवाल खड़ा किया है। मेयर तीन दिन के दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल के दौरे पर सोमवार से गई हुई है, लेकिन अपने पत्र से उन्होंने वित्तीय अनियमितताओं पर सवाल खड़ा कर दिया है।

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    कई दूसरे पत्र भी इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें कंपनी द्वारा साढ़े तीन करोड़ की वित्तीय अनुमति के बाद भी आठ करोड़ का भुगतान और अनुबंध से दो गुणा लोगों को भर्ती करने पर सवाल है। चर्चा यहां तक है कि संबंधित फाइल पर ये दर्ज किया गया है कि संबंधित कंपनी अगामी अनुबंध तक कार्य संभालेगी।

    मेयर, नगरायुक्त से मांग रही जवाब, तत्काल मांगी है आख्या

    मेयर एवं नगरायुक्त की रार लंबे समय बाद फिर खुलकर सामने आ गई है। पहले भी मेयर ने नगरायुक्त पर पत्रों के माध्यम से हमला किया था तो भ्रष्टाचार पर प्रहार भी किया था। उन्होंने तत्काल के नाम पर कराए गए कार्यो पर सवाल खड़ा किया था। इसके बाद मामला शांत हो गया था। अब उन्होंने आउटसोसिंग सेवा प्रदाता फर्म मैं अग्रवाल एंड कंपनी के मामले में सवाल खड़ा किया है और तत्काल आख्या मांगी है।

    मेयर ने कहा है निविदा शर्तों के अनुसार कार्यकाल समाप्त हो चुका है। बिना मेरे और कार्यकारिणी के संज्ञान में लाए किस आधार पर कार्यकाल बढ़ाया गया है।

    हर महीने फर्म कर रही है आठ करोड़ का भुगतान, चार हजार की भर्ती

    वहीं इंटरनेट मीडिया पर एक दूसरा पत्र चल रहा है। इसमें है कि आखिर किसकी कृपा से कंपनी अपनी लिमिट से साढ़े तीन करोड़ थी, जबकि वह आठ करोड़ तक का भुगतान कर रहा था।

    वहीं दो हजार के अंदर भर्ती के लिमिट थी, लेकिन इसको चार हजार के पार पहुंचा दिया गया है। आखिर कोई फर्म इतनी निरंकुश कैसे हो सकती है। इस संबंध में नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। वहीं वाट्सएप पर भी कोई उत्तर नहीं दिया गया।

    वर्ष 2023 में कार्यकाल हो चुका था समाप्त

    आउटसोर्सिंग सेवा प्रदाता फर्म मैं अग्रवाल एंड कंपनी का निविदा शर्तों के अनुसार कार्यकाल समाप्त हो चुका है। अगर एक वर्ष का विस्तार दे भी दिया गया, लेकिन उसके बाद भी फर्म कैसे कार्य कर रही है। नई फर्म के चयन के लिए नगर निगम प्रशासन ने नई निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई। मेयर, कार्यकारिणी के संज्ञान में नहीं होने से आगामी सदन में हंगामे की तैयारी भी पार्षद कर रहे हैं।

    मेयर ने भी अपने पत्र में भी सवाल खड़ा किया है कि शासन स्तर से जेम पोर्टल पर ई-निविदा जारी करने की गाइड लाइन जारी की गई है। जिससे पारदर्शिता के आधार पर टेंडर जारी किया जा सके। ऐसी किसी शर्त का पालन न कर फर्म का कार्यकाल किस आधार पर बढ़ा दिया गया है।