अब पुलिसवाले नहीं कर पाएंगे घालमेल, मुकदमे में हेराफेरी करते ही अधिकारियों को पहुंचेगा एसएमएस अलर्ट
पुलिस महानिदेशक कार्यालय से सीसीटीएनएस में किया गया है नया बदलाव। विवेचक को बतानी होगी नाम निकालने और धाराओं में बदलाव की वजह। पुलिस जांच अधिकारियाें पर विवेचना के दौरान मुकदमे में गड़बड़ी करने के लगते हैं अक्सर आरोप।

आगरा, अली अब्बास। मुकदमों की विवेचना के दौरान विवेचक अब इसमें खेल नहीं कर पाएंगे। धाराओं में बदलाव और आरोपितों का नाम निकालते ही पर्यवेक्षण अधिकारी के पास एसएमएस अलर्ट पहुंच जाएगा। उसे तत्काल पता चल जाएगा कि किस विवेचना में विवेचक ने क्या किया है। विवेचकों पर हाईटेक निगरानी और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के लिए डीजी कार्यालय से सीसीटीएनएस में यह नई सुविधा की गई है। पिछले दिनों पत्र के माध्यम से इसकी सूचना एडीजी जोन को भी दी गई।
वर्ष 2020 में जाेंस मिल में धमाका हुआ था। विवेचना के दौरान बिल्डर चुनमुन अग्रवाल को आरोपित बनाया गया। बाद में विधिक राय लेकर मुकदमे से उसका नाम निकाल दिया गया। केस डायरी अदालत में दाखिल होने के बाद अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली। जिसके बाद विवेचक को निलंबित कर दिया गया। प्रमुख मुकदमों में इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं।जिसमें विवेचक द्वारा धाराओं में बदलाव और आरोपिताें का नाम निकालने की अधिकारियों को समय पर जानकारी नहीं हो पाती।
मगर, सीसीटीएनएस में इस नई सुविधा के बाद विवेचकों के खेल पर अंकुश लग सकेगा। हालांकि ऐसा नहीं है कि कुछ ही मुकदमों में इस तरह के मामले सामने आते हैं। अधिकांश में विवेचक ऐसा नहीं करते। विवेचक को साक्ष्यों के आधार पर किसी को भी आरोपित बनाने और नाम निकालने का अधिकार होता है।
पर्यवेक्षण अधिकारी को सही समय पर पता चल सकेगा कि विवेचना में क्या चल रहा है। वह किस स्थिति में है। विवेचक यदि कोई गड़बड़ी करेगा तो उसके खिलाफ तत्काल कार्यवाही की जा सकेगी।
राजीव कृष्ण, एडीजी आगरा जोन
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