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    Taj Mahal पर पड़ रही मौसम की मार, खूबसूरत संगमरमर की इमारत पर दाग लगा रही उत्तर-पश्चिम की हवा

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Mon, 09 Jan 2023 12:15 PM (IST)

    Tajmahal Monument मौसम का असर सफेद संगमरमर हुस्न की बेहद खूबसूरत इमारत पर पड़ रहा है। नीरी के सर्वे में जो जानकारी जुटाई गई है वो चौंकाने वाली है। सर्वे का काम लगभग पूरा हो गया है।

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    Taj Mahal खूबसूरत संगमर की इमारत पर दाग लगा रही उत्तर-पश्चिम की हवा

    आगरा, जागरण संवाददाता। नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) का सर्वे ताजमहल के 500 मीटर तक ही सीमित नहीं रहा है, वह हर गतिविधि पर बारीक दृष्टि रख रही है। ताजमहल पर दाग लगा रही उत्तर-पश्चिम दिशा की हवा के साथ ही पुरानी मंडी चौराहा पर लगने वाले जाम से हो रहा वायु प्रदूषण भी उसकी जांच के दायरे में है। नीरी की टीम ने मौसम विभाग के ताजमहल परिसर स्थित कार्यालय में संपर्क कर काफी जानकारी जुटाई है।

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    नीरी ने किया था स्मारक पर प्रभाव का अध्ययन

    ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को नीरी को ताजमहल की 500 मीटर की परिधि में हो रही व्यावसायिक गतिविधियों से स्मारक पर प्रभाव का अध्ययन करने का आदेश किया था। नीरी की टीम ने 500 मीटर की परिधि के बाहर स्थित अमरूद का टीला पार्किंग (पश्चिमी गेट) और शिल्पग्राम पार्किंग (पूर्वी गेट) में आने वाले पर्यटक वाहनों के आंकड़े जुटाए। नीरी के मुख्य विज्ञानी व प्रभारी डा. एसके गोयल ने ताजमहल स्थित मौसम विभाग के केंद्र से हवा की दिशा व गति की जानकारी जुटाई। पुरानी मंडी चौराहा पर जाम से होने वाले वाहनजनित और यहां हुए कार्यों में मानकों की अनदेखी से हो रहे वायु प्रदूषण के बारे में भी जानकारी ली। डा. एसके गोयल ने बताया कि सर्वे का काम लगभग पूरा हो गया है।

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    हरियाली नहीं होने से धूल कण पहुंच रहे ताज तक

    एएसआइ ने किया था अध्ययन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा ने वर्ष 2016 व 2017 में ताजमहल पर विभिन्न दिशाओं से अलग-अलग समय पर आने वाले प्रदूषक तत्वों का अध्ययन किया था। आंकड़ों का अध्ययन कर एएसआइ ने उत्तर-पश्चिम व पश्चिम दिशा से सर्वाधिक प्रदूषक तत्वों के ताजमहल पर पहुंचने का दावा किया था। ताजमहल की पश्चिम दिशा में आगरा किला व ताजमहल के मध्य हेरिटेज कारिडोर पर हरियाली नहीं होने से यमुना से धूल कण उड़कर स्मारक तक पहुंचते हैं। इस दिशा में ताजगंज श्मशान घाट भी है।

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    सीपीसीबी के प्रभारी अधिकारी कमल कुमार बताते हैं कि ताजमहल पर वर्ष के 70 से 80 प्रतिशत दिनों में उत्तर-पश्चिम व पश्चिम दिशा से हवा चलती है। इससे यमुना की तलहटी से धूल कण और श्मशान घाट पर चिताओं के जलने से उठने वाला धुआं ताजमहल की तरफ जाता है।