Raja Man Singh Murder Case: राजा मान सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता नौ पुलिसकर्मी जयपुर सेंट्रल जेल भेजे गए
पिछले साल नवंबर में सजायाफ्ता दस पुलिसकर्मियों को मथुरा से आगरा सेंट्रल जेल किया था स्थानांतरित। एक बंदी की अप्रैल में हो चुकी है मौत। 1985 में विधानसभा चुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी राजा मान सिंह को पुलिस ने मुठभेड़ में दिखाकर मारा था।

आगरा, जागरण संवाददाता। सेंट्रल जेल में निरुद्ध भरतपुर के राजा मान सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता नौ पुलिसकर्मियों को जयपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इन सभी को पिछले साल नवंबर में मथुरा से आगरा सेंट्रल जेल स्थानांतरित किया गया था।
भरतपुर के डीग इलाके में 21 फरवरी 1985 में विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार राजा मान सिंह और उनके दो सहयाेगियों हरि सिंह और सुमेर सिंह को पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया था। राजा मान सिंह और उनके सहयोगियों पर राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर में कथित टक्कर मारने का आरोप था। मामले में राजा मान सिंह की पुत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें पुलिस उपाधीक्षक कान सिंह भाटी, रवि शेखर मिश्र समेत 18 पुलिसकर्मियों को नामजद किया था।
हत्याकांड की जांच सीबीआइ ने की थी। उसने 18 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। उच्चतम न्यायालय ने मान सिंह के दामाद और शिकायतकर्ता विजय सिंह की याचिका पर 1989 में मुकदमे की सुनवाई जयपुर की विशेष अदालत से मथुरा स्थानांतरित कर दी थी। पिछले साल जुलाई में मथुरा की अदालत ने पुलिस उपाधीक्षक कान सिंह ठाकुर, रवि शेखर मिश्रा समेत 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजायाफ्ता दस पुलिसकर्मियों रवि शेखर जगमोहन, वीरेंद्र, पदमाराम, भंवर सिंह, हरि सिंह, शेर सिंह, छतर सिंह, जीवनराम और सुखराम को आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। इनमें रवि शेखर की 29 अप्रैल को इलाज के दौरान मौत हो गई। जेलर एसपी मिश्रा ने बताया सजायाफ्ता सभी दस पुलिसकर्मियों को सेंट्रल जेल जयपुर स्थानांतरित किया गया है।
35 साल बाद आया था फैसला
राजा मान सिंह हत्याकांड की सुनवाई जयपुर कोर्ट और उसके बाद जिला सत्र एवं न्यायाधीश की अदालत में हुई थी। करीब 35 साल तक चले इस मुकदमे को लेकर वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने बताया कि मामले में राजा मान सिंह के खिलाफ मंच और हेलीकॉप्टर तोड़ने के मामले में सीबीआइ ने अपनी जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी थी। राजा मानसिंह के समर्थक बाबूलाल से पुलिस ने जो तमंचा बरामद दिखाया था, उसमें भी फाइनल रिपोर्ट लग गई थी। एसएचओ वीरेंद्र सिंह के बाद इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी ने की। इसके बाद मामला सीबीआइ को स्थानांतरित हो गया। सीबीआइ ने सिरबी समेत तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन सीबीआइ अदालत में मामला साबित नहीं कर सकी। ऐसे में सिरबी समेत तीन पुलिसकर्मी दोषमुक्त हो गए।
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