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    Agra New: ताज संरक्षित क्षेत्र में खनन का एनजीटी ने लिया संज्ञान, दो महीने में पेश करनी होगी रिपोर्ट

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 25 May 2022 11:50 AM (IST)

    संयुक्त समिति गठित करते हुए जांच करने के दिए निर्देश। समिति में जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रीजनल आफिस लखनऊ ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीएम को शामिल किया गया है। तीन अगस्त को होगी सुनवाई।

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    एनजीटी ने ताज संरक्षित क्षेत्र में खनन को लेकर समिति गठित की है।

    आगरा, जागरण संवाददाता। ताज संरक्षित वन क्षेत्र और यमुना के डूब क्षेत्र में अवैध खनन का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पहुंच गया है। दयालबाग निवासी डा. शरद गुप्ता की शिकायत का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने संयुक्त समिति गठित करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। समिति को दो माह के अंदर रिपोर्ट देनी होगी। मामले में तीन अगस्त को सुनवाई होगी।

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    ताज संरक्षित वन क्षेत्र व यमुना के प्रतिबंधित डूब क्षेत्र की खादर में अवैध खनन शिकायत डा. शरद गुप्ता ने एनजीटी में की थी। उन्होंने कहा था कि बड़े स्तर पर खनन कर ताजमहल के अासपास के क्षेत्र व यमुना के प्रतिबंधित डूब क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह क्षेत्र जानवरों व पौधों की एक हजार से अधिक प्रजातियों का प्राकृतिक अधिवास क्षेत्र है। खनन से पारिस्थितिकी तंत्र के साथ ही ताजमहल के लिए भी खतरा बढ़ रहा है। शिकायत का संज्ञान लेते हुए एनजीटी के न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी व विशेषज्ञ सदस्य डा. अफरोज अहमद की बेंच ने याचिका दर्ज की है।

    बेंच ने शिकायत की जांच और स्थिति में तुरंत सुधार को संयुक्त समिति गठित की है। समिति में जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार, वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रीजनल आफिस लखनऊ, ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीएम को शामिल किया गया है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। समिति डूब क्षेत्र के नोटिफिकेशन और चिह्नीकरण के अनुसार वास्तविक स्थिति की जांच करेगी। शिकायत का संज्ञान लेते हुए स्थिति में सुधार को उचित कदम उठाने होंगे। समिति को अपनी रिपोर्ट दो माह में एनजीटी को देनी होगी।

    डा. शरद गुप्ता ने बताया कि आगरा में पौधारोपण तो बड़े स्तर पर हो रहा है, लेकिन वन क्षेत्र मात्र 6.5 फीसद क्षेत्रफल में ही रह गया है। वन एवं वन्य जीव विभाग के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।