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    आगरा नगर निगम पर NGT ने लगाया 58.39 करोड़ रुपये का जुर्माना, पढ़ें क्या है पूरा मामला

    Updated: Thu, 25 Apr 2024 07:37 AM (IST)

    राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने यमुना में शोधित किए बिना नालों का पानी बहाए जाने पर कड़ा फैसला सुनाया है। इसमें नगर निगम की लापरवाही मानते हुए अधिकरण ने आगरा नगर निगम पर 288 दिनों तक की अवधि के लिए 58.39 और मथुरा-वृंदावन नगर निगम पर 7.20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। दोनों को तीन माह में यह धनराशि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास जमा करानी होगी।

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    आगरा नगर निगम पर NGT ने लगाया 58.39 करोड़ रुपये का जुर्माना, पढ़ें क्या है पूरा मामला

    जागरण संवाददाता, आगरा। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना में शोधित किए बिना नालों का पानी बहाए जाने पर कड़ा फैसला सुनाया है। इसमें नगर निगम की लापरवाही मानते हुए अधिकरण ने आगरा नगर निगम पर 288 दिनों तक की अवधि के लिए 58.39 और मथुरा-वृंदावन नगर निगम पर 7.20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

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    दोनों को तीन माह में यह धनराशि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास जमा करानी होगी। इसका उपयोग दोनों शहरों में पर्यावरण सुधार के लिए कायाकल्प योजना के आधार पर किया जाएगा। आगरा के दिल्ली गेट क्षेत्र में रहने वाले पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने वर्ष 2022 में इस संबंध में याचिका दायर की थी।

    मथुरा की राधा वैली के राजेश पारीक ने मथुरा में यमुना के प्रदूषित होने पर याचिका की थी। दोनों याचिकाओं को जोड़ते हुए एनजीटी ने सुनवाई की। सात दिसंबर को हुई सुनवाई का आदेश बुधवार को पढ़ा गया एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड हुआ।

    एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डा. ए. सेंथिल वेल ने यमुना की दुर्दशा के लिए नगर निगम को जिम्मेदार माना है। नगर निगम यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का संचालन कर रही एजेंसी से पर्यावरण क्षतिपूर्ति की राशि आनुपातिक रूप से निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए वसूल सकेगा।

    आदेश के बाद यमुना को प्रदूषित करने की अवधि के लिए यूपीपीसीबी जुर्माने का आकलन करेगा। यूपीपीसीबी को जल अधिनियम, 1974 और गंगा नदी आदेश, 2016 का उल्लंघन करने के मामले में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराते हुए तीन माह में कार्रवाई शुरू करनी होगी।

    पर्यावरण सुधार के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), यूपीपीसीबी और डीएम की संयुक्त समिति इसकी योजना तैयार करेगी। यूपीपीसीबी और संयुक्त समिति को एनजीटी के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। 

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