Chambal River: लहरों में पनप रहा नन्हा जीवन... चंबल नदी में आई मगरमच्छ और कछुओं की नई पीढ़ी
संरक्षण विशेषज्ञों की रंग ला रही मेहनत, बढ़ रही दुर्लभ प्रजातियों की संख्या। बरसात के मौसम में चंबल नदी में छोड़े गए मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुए के बच्चे।

चंबल नदी में छोड़े गए बटागुर प्रजाति के कछुए के बच्चे। सौ. वन विभाग
जागरण संवाददाता, आगरा। चंबल नदी की लहरों में नन्हा जीवन पनप रहा है, जो संरक्षण की उम्मीदों को नई उड़ान दे रहा है। बाह और पिनाहट के किनारों पर बरसात के मौसम में घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुओं से नदी रौनक बढ़ रही है।
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य में वन विभाग और संरक्षण विशेषज्ञों की मेहनत रंग ला रही है, जिससे इन दुर्लभ प्रजातियों की संख्या बढ़ रही है।
190 घड़ियाल के बच्चे नदी में छोड़े गए हैं
वन विभाग रेंजर उदय प्रताप ने बताया बाह क्षेत्र में घड़ियालों की हैचिंग शुरू हो चुकी है। 190 घड़ियाल के बच्चे नदी में छोड़े गए हैं, कुल संख्या दो हजार से अधिक है। साथ ही बटागुर प्रजातियों के 4290 शावक कछुए भी नदी में छोड़े गए। वहीं, मगरमच्छों की बात करें तो चंबल में उनकी आबादी 1200 तक पहुंच गई है। लेकिन बरसात में बढ़ा जलस्तर उन्हें गांवों तक ले जा रहा है। बीते पिनाहट में एक 10 फीट का मगरमच्छ घर में घुस गया, जिसे वन विभाग ने नाटकीय रेस्क्यू आपरेशन के बाद नदी में वापस छोड़ा।
रेंजर ने बताया बरसात इन प्रजातियों के प्रजनन का सुनहरा समय है। वन विभाग की सतर्क निगरानी और स्थानीय लोगों की जागरूकता से चंबल की जैव-विविधता चमक रही है।
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