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बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की जंग लड़ रहीं वकील नम्रता

यूनाइटेड नेशस की समिट में शामिल होने वाली इकलौती भारतीय दस सालों में एक लाख से ज्यादा बचों को कर चुकी हैं जागरूक

By JagranEdited By: Wed, 21 Oct 2020 06:00 AM (IST)
बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की जंग लड़ रहीं वकील नम्रता
बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की जंग लड़ रहीं वकील नम्रता

आगरा,जागरण संवाददाता।

जिसके लिए कानून बना है, अगर उसे ही उसकी जानकारी नहीं है तो क्या फायदा? हमें ऐसा समाज बनाना है जहा अपराध हो ही न। इसी सोच के साथ पिछले दस सालों से पेशे से वकील नम्रता मिश्रा एक मुहिम चला रही हैं। अपनी इस मुहिम में वे बाल और महिला अधिकारों के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं।

नम्रता बताती हैं कि दस साल पहले वे मुंबई हाईकोर्ट में कंपनी ला की प्रैक्टिस करतीं थीं। आगरा आईं तो यहा पारिवारिक कानून के केस जिला न्यायलय में लड़ने लगीं। इसी बीच निर्भया काड हुआ, जिसने उनके सोचने की दिशा ही बदल दी। उन्होंने मुहिम शुरू की। इस मुहिम में उन्होंने महिला और बाल अधिकारों की जानकारी देने के लिए वर्कशाप करनी शुरु की। नम्रता बतातीं हैं कि वे अभी तक एक लाख से ज्यादा स्कूली बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों को इन अधिकारों की जानकारी दे चुकीं हैं।

तैयार किए हैं तीन कोर्स

तीन से नौ, दस से 14 और 15 से 18 साल के बच्चों के लिए उन्होंने तीन कोर्स तैयार किए हैं। इन कोर्सो में वे व्यक्तिगत सुरक्षा की जानकारी देती हैं। साथ ही बताती हैं कि शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे सशक्त हो सकते हैं।

स्कूलों में नहीं हैं काउंसलर

नम्रता ने दस सालों में कई शहरों में जाकर 4500 स्कूलों का सर्वे किया। उनको 100 स्कूलों में ही काउंसलर मिले। जबकि सीबीएसई का नियम है कि हर स्कूल में काउंसलर होना चाहिए। यूनाइटेड नेशस में पढ़ा शोध पत्र

यूनाइटेड नेशंस की पिछले साल दिसंबर में इजरायल में समिट हुई थी। देश से नम्रता इकलौती महिला थीं जिन्होंने इस समिट में अपना शोध पत्र पढ़ा था। इस शोध पत्र में उन्होंने यूएन कंवेशन के तीस सालों में बच्चों के साथ हुए यौन उत्पीड़न, कानूनों आदि को शामिल किया था। इस समिट में दुनिया भर से 150 से ज्यादा वकीलों ने भाग लिया था, जिसमें से 12 वक्ताओं के शोध पत्रों को प्रकाशित करने के लिए चुना गया, इनमें से नम्रता भी एक वक्ता हैं।

महिलाओं को कर रहीं हैं जागरूक

नम्रता कहती हैं कि हमारी दादी, नानी और मां हर उत्पीड़न पर चुप रहीं। पर अब समय बोलने का है। इसलिए उन्होंने सोशल मीडिया पर एक मंच तैयार किया है, जहा वे यौन उत्पीड़न, महिला अधिकारों की बात करतीं हैं। नम्रता का मानना है कि ऐसे कानून बनाने का क्या फायदा, अगर संबंधित को उसकी जानकारी ही न हो।

बनाना चाहती हैं हेल्पलाइन

यूनाइटेड नेशंस से परमवीर चक्र का सम्मान पा चुकीं नम्रता बच्चों के लिए एक हेल्पलाइन शुरु करना चाहती हैं जहा बच्चे अपनी समस्याओं को बिना किसी से डरे साझा कर सकें।