Mughal Empire: मुगल बादशाह बाबर का मकबरा, आगरा में ये स्मारक, चौबुर्जी के नाम से है फेमस
Mughal Empire आगरा के यमुना पार में ये स्मारक स्थित है बाबर को काबुल में दफनाने से पहले यहां दफन किया गया था। बहुत ही कम सैलानियों को इसकी जानकारी है। प्रचार-प्रसार नहीं होने से यहां पर्यटक नहीं आते हैं। रेड स्टोन की ये इमारत के ताले में बंद है।

आगरा, जागरण टीम। ताजमहल के शहर में कई ऐतिहासिक स्मारक हैं तो कुछ मकबरे ऐसे हैं जहां मुगल शासक दफनाए गए हैं। एक ऐसा ही मकबरा है चौबुर्जी।
भारत में मुगल वंश की स्थापना करने वाले बाबर का मकबरा काबुल में है। लेकिन इतिहास के पन्ने उलटने पर पता लगा कि काबुल में दफन करने से पहले बाबर काे आगरा की चौबुर्जी में दफन किया गया था। ये स्मारक यमुना पार स्थित है। हालांकि इस मकबरे के बारे में प्रचार-प्रसार नहीं होने से पर्यटकों को अधिक जानकारी नहीं है और ये स्मारक उपेक्षा का शिकार है।
पानीपत का युद्ध जीत आगरा आया था बाबर
वर्ष 1526 में पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोदी को हराने के बाद बाबर ने आगरा का रुख किया था। बाबार ने यमुना पार चारबाग और आराम बाग बनवाए थे। वर्तमान में चारबाग का अस्तित्व तो नहीं बचा है, लेकिन यमुना ब्रिज स्टेशन रोड पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक चौबुर्जी है। इस स्मारक के गेट पर ताला लगा रहता है। कोई पर्यटक स्मारक देखना भी चाहे तो देख नहीं सकता है।
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बाबर को मौत के बाद यहां किया था दफन
इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि वर्ष 1530 में बाबर की मृत्यु के बाद उसके शव को यहां दफनाया गया था। छह माह बाद उसके शव को काबुल ले जाकर दफन किया गया था।
कार्लायल ने बताया था मोतीबाग का हिस्सा
कार्लायल ने रामबाग को बाबर का दफन स्थान बताया था। उसने चौबुर्जी को शाहजहां द्वारा स्थापित मोतीबाग में बना हुआ बताया था। कार्लायल के अनुसार इस स्थान का उपयोग ब्रिटिश लोग निवास स्थान के रूप में करते थे। आयताकार प्लान, उठा हुआ प्लेटफार्म, मेहराब का आकारा, कोनों पर जुड़ी हुई मीनारों से यह एत्माद्दौला की प्रतिकृति सा नजर आता है। अंतर सिर्फ एत्माद्दौला का संगमरमर और चौबुर्जी का रेड सैंड स्टोन से बना होना है।
मुमताज के हुए थे तीन दफन
बाबर के दो तो मुमताज के तीन दफन हुए थे। मुमताज की मृत्यु बुरहानपुर में हुई थी। उनका पहला दफन वहीं हुआ था। छह माह बाद उसके शव को बुरहानपुर से आगरा लाया गया था। ताजमहल में शाही मस्जिद के निकट उद्यान में बने जिलाऊखाना में उनका दूसरा दफन किया गया था। उनका तीसरा दफन ताजमहल में वर्तमान जगह में हुआ था। बाबर को चौबुर्जी में दफन करने के बाद काबुल में दोबारा दफनाया गया था।
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