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    पालनहार मां के संघर्ष की अनोखी कहानी; 17 महीने बाद घर लौटेंगी खुशियां, पहले अपनाने से इनकार किया, गोद लेने को पूरी दुनिया से भिड़ी

    Updated: Tue, 30 Jan 2024 10:56 AM (IST)

    Agra News In Hindi पालनहार मां ने बताया कि न्यायालय के निर्णय ने 17 महीने बाद एक बेटी को मां से मिला दिया। वह मंगलवार को पति के साथ बेटी से मिलने गई थीं। पिता को सामने देख बेटी की आंखों में आंसू आ गए थे। उन्होंने बेटी को आज तक यह नहीं बताया था कि उसे यहां किसी विवाद के चलते रहना पड़ रहा है।

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    Agra News: फैसला सुनते ही खुशी से छलक उठीं पालनहार मां की आंखें

    जागरण संवाददाता, आगरा। मै रोया परदेस में भीगा मां का प्यार, दिल ने दिल से बात की, बिन चिट्टी बिन तार। सोमवार को उच्च न्यायालय में अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान की पालनहार मां का कुछ यही हालत थी। बेटी से बोलकर आई थी, हास्टल में पढाई के लिए रखा गया है।

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    बस एक किताब और पढ़ लो अगली बार आउंगी तो तुम्हे घर साथ ले जाउंगी। कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान मीना का दिल बेटी के पास था, आंसुओं से भरा उसका चेहरा बार-बार आंखों के सामने आ रहा था। लगभग सवा घंटे चली सुनवाई के बाद न्यायालय द्वारा बेटी पालनहार मां को देने का निर्णय सुनते ही उसकी आंख खुशी से छलक उठीं।

    अंत में मां की जीत

    पालनहार मां ने बताया कि उन्हें विश्वास था कि अंत में मां की ममता की ही जीत होगी। न्यायालय के आदेश ने उनका दामन और घर का आंगन दोनों खुशियाें से भर दिया। न्यायालय में अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कई बार मां और बच्ची के संबंधों को लेकर मानवीय पहलुओं का उल्लेख किया। इस दौरान पालनहार मां की आंखें कई बार छलकीं।

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    बेटी को बताया था कि उसे पढ़ाई के लिए हास्टल भेजा है। बस एक किताब और पढ़़नी है, इसके बाद वह उसे अपने साथ लेकर चली जाएगी।

    कोर्ट रूम में कई बार बदले मां के चेहरे के भाव

    कोर्ट रूम में मौजूद पालनहार मां के चेहरे के भाव कई बार बदले। हिंदी में होने बातचीत को वह समझ रही थी। मगर, अधिवक्ता जब अंग्रेजी में बात करने लगते तो वह परेशान हो जाती। कोर्ट रूम में साथ में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस उसे अनुवाद करके बताते तो वह सामांन्य होती।

    कानून के लिए जैविक माता-पिता का एक और समूह ढूंढना नहीं

    न्यायालय ने अपने 11 पृष्ठ के आदेश में मानवीय पहलुओं का उल्लेख किया। न्यायालय ने आदेश में कहा कि किन्नर द्वारा अपहरण से पहले बच्ची की पालनहार मां द्वारा की गई देखभाल दोनों के बीच संबंधों की शुद्धता के बारे में बताती है।याचिकाकर्ता को बच्ची से दूर करना कानून का सबसे आसान हिस्सा है, लेकिन कानून के लिए जैविक माता-पिता का एक और समूह ढृूंढना संभव नहीं है। जिससे कि बच्ची अपने रूप में पहचान सके। इसलिए कानून को न्याय देना चाहिए जो यह अनुशंसा करता है कि बच्ची को उन लोगों की देखभाल में रहना चाहिए जिन्हें वह अपने माता-पिता मानती है। विशेष रूप से याचिकाकर्ता जिसमें उसने अपनी मां को पाया है।

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    बच्ची पालनहार मां को मिले, इसके लिए दैनिक जागरण ने अभियान चलाया था। शहर के लोगों ने बच्ची पालनहार मां को दिए जाने का समर्थन किया था। पालनहार मां ने सोमवार को उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद दैनिक जागरण को धन्यवाद दिया। पालनहार मां ने कहा दैनिक जागरण ने लोगों तक उनकी पीड़ा को पहुंचाया। एक बेटी काे मां से मिलाने काम किया है।