देश में पहली बार 32 हजार फीट के सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली का सफल परीक्षण, पानागढ़ में विंग कमांडर ने लगाई छलांग
भारत में पहली बार 32 हजार फीट की ऊंचाई पर सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली का सफल परीक्षण हुआ। पानागढ़ में एक विंग कमांडर ने इस ऊंचाई से छलांग लगाकर प्रणाली की क्षमता का प्रदर्शन किया। यह भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो उन्हें अधिक ऊंचाई पर सुरक्षित उतरने की क्षमता प्रदान करती है। यह प्रणाली आधुनिक तकनीकों से लैस है और सैनिकों को युद्ध में अधिक प्रभावी बनाएगी।

जागरण संवाददाता, आगरा। स्वदेशी सैन्य पैराशूट की दुनिया में देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत ने 32 हजार फीट की ऊंचाई से कूदने वाले सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली को विकसित कर लिया है। ढाई साल की मेहनत के बाद यह कार्य हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थापन (एडीआरडीई) के वैज्ञानिकों ने किया है।
बुधवार को पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में विंग कमांडर विशाल लखेश की टीम ने पैराशूट प्रणाली का सफल परीक्षण किया। यह प्रणाली अमेरिका, चीन जैसे विकसित देशों के पास है।
अभी तक भारत के पास 25 हजार फीट की सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली हैं। मार्च 2025 में पहली बार 27 से 30 हजार फीट की पैराशूट प्रणाली का परीक्षण किया गया। यह परीक्षण विंग कमांडर विशाल लखेश की टीम ने किया। इस प्रणाली को एडीआरडीई टीम ने विकसित किया।
ढाई साल पूर्व टीम ने 32 हजार फीट के सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली (एमसीपीएस) को तैयार करने शुरू कर दिया था। इस प्रणाली के प्रारंभिक परीक्षण आगरा में हुए फिर इसे पानागढ़ पश्चिम बंगाल भेज दिया गया। बुधवार को भारतीय वायुसेना के एक विमान से विंग कमांडर विशाल लखेश, विवेक तिवारी और आरके सिंह को ले जाया गया।
32 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचने पर तीनों अधिकारियों ने छलांग लगाई और कुछ मिनट के बाद भूमि पर उतरे। देश में पहली बार इतनी अधिक ऊंचाई से पैराशूट प्रणाली का प्रयोग किया गया है।
पूर्व निदेशक डा. एके सक्सेना का कहना है कि 32 हजार फीट के सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली भारत के पास भी आ गई है। यह पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली है। युद्ध या फिर अन्य आपरेशन में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
खासकर हिमालय जैसे क्षेत्रों की दुर्गम चोटियों में उतरने में आसानी रहेगी। जनसंपर्क अधिकारी गयासुद्दीन कुरैशी का कहना है कि यह बड़ी उपलब्धि है। भारत के पास भी यह पैराशूट प्रणाली आ चुकी है।
यह है सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली
एडीआरडीई की टीम ने एक विशेष तरीके का सूट तैयार किया है। यह सूट खास तरीके का है। सूट में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम, पैरा कंप्यूटर, इंटर पर्सनल रेडियो, मैग्नेटिक कंपास सहित अन्य उपकरण शामिल हैं। इसका दूसरा हिस्सा पैराशूट है। यह भी खास नायलान सहित अन्य सामग्री से तैयार किया गया है। इन दोनों को मिलाकर ही पैराशूट प्रणाली बनती है।
यह है खासियत
सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली 15 से 17 साल तक कार्य करेगी। यह 200 किग्रा तक अधिकतम वजन उठा सकती है। 32 हजार फीट की ऊंचाई से आसानी से कूदा जा सकता है। 80 लीटर का आक्सीजन सिलेंडर भी है। प्रणाली के भूमि में उतरने की गति 280 किमी प्रति घंटा होती है।
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