Mental Hospital Agra: आर्थिक स्वास्थ्य बिगड़ा, चार महीने से वेतन न मिलने पर कर्मचारी ने की खुदकुशी की कोशिश
Mental Hospital Agra आगरा की मानसिक आरोग्यशाला का 20 करोड़ का है बजट। 3.27 करोड़ की एक किश्त ही हुई जारी। डाक्टर सहित 350 कर्मचारी हैं इस समय अस्पताल में वेतन न मिलने से सभी परेशान। 10 जुलाई के बाद से बजट का इंतजार।

आगरा, जागरण संवाददाता। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय (मानसिक अरोग्यशाला) का आर्थिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है। 20 करोड़ के बजट में से शासन से 3.27 करोड़ की पहली किश्त ही जारी हुई है। इससे डाक्टरों के साथ ही कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। चार महीने से वेतन न मिलने पर संविदा कर्मचारी ने खुदकुशी की कोशिश की, कर्मचारी वेंटीलेटर पर है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में डाक्टर सहित 350 कर्मचारी स्थायी और संविदा हैं। इस वर्ष 20 करोड़ का बजट मिलना था, शासन से जुलाई में पहली किश्त 3.27 करोड़ की किश्त जारी हुई। इसके बाद से बजट नहीं मिला है। इससे डाक्टरों को पांच महीने और कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिल पाया है। इससे डाक्टरों के साथ ही कर्मचारी भी परेशान हैं।
ड्यूटी से लौटकर की खुदकुशी
संस्थान स्थित आवास में रह रहे संविदा पर अटेंडेंट के पद पर कार्यरत जितेंद्र सिंह चौहान रात की डयूटी कर सुबह सात बजे घर पहुंचे। कमरे में पंखे से फांसी का फंदा लगाकर लटक गए,स्वजनों ने कर्मचारियों की मदद से उन्हें फांसी के फंदे से उतारा। गंभीर हालत में पुष्पांजलि हास्पिटल, दिल्ली गेट पर भर्ती किया गया है। वेंटीलेटर पर हैं। उनके पिता महेंद्र पाल सिंह संस्थान में स्थायी कर्मचारी हैं, उन्होंने बताया कि चार महीने से वेतन नहीं मिला था। बेटे के साथ उसकी पत्नी और दोनों बच्चों का खर्चा भी वही उठा रहे हैं, आर्थिक तंगी के कारण घर में विवाद चल रहा था।
वेतन और मरीजों के खाने पर हर महीने सवा करोड़ का खर्च
संस्थान में डाक्टर सहित 350 कर्मचारी हैं और 400 से 450 मरीज भर्ती रहते हैं। इन पर हर महीने एक करोड़ का खर्चा आता है। संस्थान से दो महीने के बिल बनाकर शासन को भेजे जाते हैं, महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के माध्यम से बजट जारी किया जाता है। मगर, जुलाई से बजट जारी नहीं हुआ है।
खुदकुशी की रोकथाम के लिए हेल्पलाइन, कर्मचारियों को जरूरी
संस्थान में खुदकुशी की रोकथाम के लिए हेल्प लाइन भी शुरू की गई है। वेतन न मिलने से संस्थान के डाक्टर और कर्मचारी तनाव में हैं, उन्हें हेल्पलाइन की जरूरत पड़ने लगी है।
1859 में संस्थान बना, कोर्स बढ़ाए पर बजट नहीं बढ़ा
आजादी की 1857 की क्रांति के समय नार्दन प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर केल्विन का कार्यालय आगरा में था। वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। सैनिक भी तनाव में थे, क्वीन विक्टोरिया की अनुमति के बाद ब्रिटिश सैनिकों के इलाज के लिए 1859 में आगरा में मानसिक आरोग्यशाला की स्थापना की गई। 1947 में यह राज्य सरकार के अधीन आ गया। 1995 में शैक्षिक गतिविधि और सुविधाएं बढ़ाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय को स्वायत्तशासी संस्थान बना दिया गया।
10 जुलाई को 3.27 करोड़ की किश्त मिली थी, इसके बाद से बजट नहीं मिला है। दो महीने के बिल भेजे जाते है, बजट न मिलने के कारण कई महीने से वेतन नहीं मिला है। कर्मचारी के खुदकुशी की कोशिश की जानकारी मिली है, उनके परिवार में विवाद भी था। डा. ज्ञानेंद्र कुमार, निदेशक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय
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