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    2500 में मेडिकल सर्टिफिकेट, एक लाख रुपये में सिर में गंभीर चोट... आगरा जिला अस्पताल में वसूली के खेल का पर्दाफाश

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 07:13 AM (IST)

    आगरा के जिला अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट और मेडिको लीगल में चोटों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए वसूली का खेल चल रहा है जिसमें अधिकारी डॉक्टर और दलाल शामिल हैं। फर्जी हस्ताक्षर का मामला सामने आने के बाद एडीएम की अध्यक्षता में जांच की सिफारिश की गई है। मेडिकल लीव और मेडिको लीगल मामलों में मोटी रकम वसूली जा रही है।

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    Agra News: आगरा जिला अस्पताल की फाइल फोटो का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। जिला अस्पताल में बेखौफ होकर मेडिकल सर्टिफिकेट और मारपीट के मामलों में मेडिको लीगल में गंभीर चोट दिखाने के लिए वसूली का खेल चल रहा है। इसमें अधिकारी, डाक्टर, कर्मचारी और दलाल शामिल है। आंख बंद कर डाक्टर पैसे लेकर मेडिकल सर्टिफिकेट बना रहे हैं, मेडिको लीगल के लिए 20 हजार से एक लाख रुपये तक की वसूली की जा रही है।

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    मेडिकल सर्टिफिकेट पर फर्जी हस्ताक्षर मिलने के बाद प्रमुख अधीक्षक के डाक्टर और इलेक्ट्रीशियन पर मुकदमा दर्ज कराने से पूरा खेल खुल गया है, एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं। जनप्रतिनिधि भी शिकायत कर चुके हैं। इस मामले में एडीएम की अध्यक्षता में जांच की सिफारिश की गई है।

    जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर आरके अरोरा ने गुरुवार को सर्जन डॉक्टर धर्मवीर सिंह और इलेक्ट्रीशियन दिनेश शर्मा के खिलाफ थाना रकाबगंज में मुकदमा दर्ज कराया। इसमें आरोप लगाए हैं कि पांच मई को सर्जरी ओपीडी की कक्ष संख्या 207 से सर्जन डॉक्टर धर्मवीर सिंह द्वारा राजकुमारी के नाम से मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया। मेडिकल सर्टिफिकेट दिनेश शर्मा की सिफारिश पर बनाया। सर्टिफिकेट पर प्रमुख अधीक्षक (डा. आरके अरोरा) के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रतिहस्ताक्षरित किए गए। इस मामले से जिला अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट में चल रहा खेल खुल गया है।

    अस्पताल के कर्मचारी और दलाल शामिल

    अस्पताल के कर्मचारी और दलाल पैसे लेकर बीमारी न होने पर भी सरकारी कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के मेडिकल लीव लेने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा देते हैं। इसके लिए 2500 रुपये तक लेते हैं। वहीं, कालेज में प्रवेश और नौकरी ज्वाइन करने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पहुंचने वाले लोगों से भी वसूली की जाती है। 500 रुपये की वसूली की जाती है। पैसे न देने पर जांच के नाम पर चक्कर लगवाए जाते हैं।

    एक लाख रुपये तक की वसूली

    उधर, सबसे ज्यादा खेल मेडिको लीगल मामलों में किया जाता है। जिला अस्पताल में 40 से 50 आपसी मारपीट सहित अन्य मामलों के मेडिको लीगल केस आते हैं। मुकदमा में धारा बढ़ाने के लिए सिर में गंभीर चोट दर्शाने के लिए एक लाख रुपये तक की वसूली की जाती है। मेडिकल लीगल में भी सबसे ज्यादा कान में चोट दिखाई जाती है, जहां चोट लगी है उसे गंभीर दिखाने के लिए जांच कराई जाती है। इसमें भी वसूली का खेल चलता है। 

    वसूली का खेल

    • मेडिकल सिर्टफिकेट का सरकारी शुल्क 68 रुपये जांच
    • नौकरी और कालेज के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए अवैध वसूली 500 रुपये
    • मेडिकल लीव सहित गंभीर बीमारी दिखाने के लिए अवैध वसूली 2500 रुपये
    • मेडिको लीगल केस में सिर में गंभीर चोट दिखाने के लिए अवैध वसूली एक लाख रुपये से अधिक
    • कान में चोट सहित अन्य हिस्सों में चोट को ज्यादा दिखाने के लिए अवैध वसूली अवैध वसूली 25 हजार रुपये से 50 हजार रुपये

    सीएमओ डा. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि दिशा समिति की बैठक में जनप्रतिनिध मेडिको लीगल में पैसे लेकर ज्यादा चोट दिखाने की शिकायत कर चुके हैं, फर्जी हस्ताक्षर का मामला भी सामने आया है। इससे पहले भी कई शिकायतें मिल चुकी हैं। एडीएम की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करने के लिए डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी को पत्र लिखा है।